भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पांच साल बाद रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की है, जिससे यह अब 6.25% पर आ गया है। यह फैसला देश की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) की बैठक के बाद लिया गया।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा का बयान
इस फैसले की घोषणा करते हुए RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, “मौद्रिक नीति ढांचे के लागू होने के बाद से भारत की औसत महंगाई दर नियंत्रण में है। भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत है, लेकिन वैश्विक चुनौतियों से पूरी तरह अछूती नहीं है।”
रेपो रेट में कटौती का मतलब क्या है?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर RBI, बैंकों को कर्ज देता है। रेपो रेट में कमी का मतलब है कि बैंकों को सस्ते दर पर पैसे मिलेंगे, जिससे वे भी कर्ज पर ब्याज दरें कम कर सकते हैं। इससे होम लोन, पर्सनल लोन और ऑटो लोन जैसी चीजें सस्ती हो सकती हैं।

आम लोगों को कैसे मिलेगा फायदा?
- होम लोन सस्ता – अगर आपका होम लोन फ्लोटिंग रेट पर है, तो आपके EMI में कमी आ सकती है।
- पर्सनल और ऑटो लोन पर राहत – नई गाड़ी खरीदने या पर्सनल लोन लेने की सोच रहे हैं? ब्याज दरें कम हो सकती हैं।
- बिजनेस लोन भी होगा सस्ता – छोटे कारोबारियों को भी कर्ज लेना आसान और सस्ता हो सकता है।
महंगाई और वैश्विक चुनौतियां भी नजर में
हालांकि, गवर्नर संजय मल्होत्रा ने साफ किया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में चल रही अनिश्चितताओं का भारत पर असर हो सकता है। उन्होंने कहा कि “हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत है, लेकिन वैश्विक चुनौतियां जैसे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और विदेशी बाजारों में मंदी का असर नजर रखनी होगी।”
पिछले पांच साल में क्या रहा ट्रेंड?
यह पहली बार है जब पिछले पांच साल में रेपो रेट घटाया गया है। इससे पहले RBI ने ब्याज दरों को स्थिर ही रखा था या बढ़ाया था, ताकि महंगाई पर नियंत्रण रखा जा सके।
| वर्ष | रेपो रेट (%) | महत्वपूर्ण फैसला |
|---|---|---|
| 2018 | 6.50 | महंगाई नियंत्रण के लिए बढ़ोतरी |
| 2019-2021 | 4.00 | कोविड के दौरान भारी कटौती |
| 2022 | 5.90 | महंगाई बढ़ने पर फिर बढ़ोतरी शुरू |
| 2024 | 6.25 | 5 साल बाद पहली बार कटौती |
निवेशकों और बाजार के लिए क्या मतलब है?
रेपो रेट में कटौती के बाद शेयर बाजार में तेजी देखने को मिल सकती है, क्योंकि कंपनियों के लिए कर्ज लेना सस्ता होगा। वहीं, एफडी (Fixed Deposit) और सेविंग्स अकाउंट पर ब्याज दरें कम हो सकती हैं, जिससे निवेशक शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड्स की ओर रुख कर सकते हैं।
आगे क्या?
अब सभी की नजर बैंकों पर है कि वे कितनी जल्दी और कितनी ब्याज दरें घटाते हैं। अगर बैंक जल्दी रियायत देते हैं, तो यह घर खरीदने वालों, कार खरीदारों, और छोटे व्यापारियों के लिए बड़ी राहत हो सकती है।
क्या यह फैसला आपकी जेब पर असर डालेगा?
अगर आप लोन लेने की सोच रहे हैं, तो यह सही समय हो सकता है। लेकिन अगर आप एफडी में निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो हो सकता है कि कम ब्याज दरों का सामना करना पड़े।




