दुबई में भारतीय प्रवासियों की Kindness Team ने अब तक 25 हजार से अधिक लोगों की जान बचाई है. दुबई में दस साल पहले एक साधारण-सी सोच के साथ शुरू हुआ एक प्रयास आज एक जिंदगी बचाने वाला मिशन बन चुका है. साल 2015 में तीन भारतीय प्रवासियों ने शिहाब थेरुवाथ, अनवर वायनाड और सलाम कन्याप्पडी ने मिलकर दुबई में Kindness Blood Donation Team की स्थापना की थी. आज ये एक संगठित टीम बन चुकी है. इस टीम के तहत सैकड़ों रक्तदान शिविर आयोजित किए गए. थैलेसीमिया, कैंसर, एक्सीडेंट और सर्जरी जैसे मरीजों को वक्त पर खून देकर जान बचाई.
रक्तदान को सरल, सुलभ और नियमित बनाया जा सके
शिहाब थेरुवाथ ने कहा कि हमें यह महसूस हुआ कि बहुत से लोगों को यह पता ही नहीं होता कि वे रक्तदान करके कितनी ज़िंदगियां बचा सकते हैं और जिनको पता होता है, उन्हें यह नहीं मालूम होता कि नियमित रूप से रक्तदान कहां और कैसे किया जाए ? जागरूकता की कमी ही सबसे बड़ी बाधा है और यही कारण था कि उन्होंने ‘काइंडनेस ब्लड डोनेशन टीम’ की शुरुआत की ताकि लोगों को रक्तदान के महत्व के बारे में बताया जा सके और रक्तदान को सरल, सुलभ और नियमित बनाया जा सके.
दुबई में सबसे सक्रिय रक्तदान समुदायों में से एक
रक्तदान को आसान और सुलभ बनाने के लिए, काइंडनेस टीम ने डिजिटल तरीके अपनाए. उन्होंने दुबई के विभिन्न इलाकों के आधार पर WhatsApp ग्रुप बनाए, ताकि ज़रूरत पड़ने पर तेज़ी से वॉलंटियर्स को जुटाया जा सके. आज, यह टीम दुबई में सबसे सक्रिय रक्तदान समुदायों में से एक बन चुकी है.
अनवर वायनाड ने कहा, लोगों की व्यस्त दिनचर्या उन्हें रक्तदान से रोकती थी. इसलिए हमने रक्तदान शिविरों को उनके पास ले जाना शुरू किया शहर के अलग-अलग हिस्सों में कैंप आयोजित किए. लोगों की प्रतिक्रिया ज़बरदस्त रही.
टीम के प्रमुख सदस्य:
दिबीश नलप्पाडम गंगाधरन – ग्राफिक डिज़ाइनर
वैसाख सुरेश नाम्बियार – लिमोज़िन कंपनी में कार्यरत
रामशूद चेट्टुमकुझी – रिसेप्शनिस्ट
सुहैल कोपा – दस्तावेज सेवा में कार्यरत
👉 इन सभी ने अपनी व्यक्तिगत व्यस्तताओं के बावजूद समय निकाला और रक्तदान को एक सामुदायिक आंदोलन में बदलने में योगदान दिया.




