OEC (Observatory of Economic Complexity) की रिपोर्ट के आधार पर सऊदी अरब जो पूरा रेगिस्तान से भरा हुआ है वो हर साल ऑस्ट्रेलिया, चीन और बेल्जियम जैसे देशों से रेत मंगवाता है। ये सुनने में काफी अजीब लगता है लेकिन इसके पीछे एक साफ और ठोस वजह है और वह है Vision 2030 के तहत चल रही मेगा-डेवलपमेंट योजनायें।
सऊदी की रेत का क्यों नहीं हो सकता उपयोग
1. रेगिस्तानी रेत बहुत मुलायम होती है
-
हजारों सालों तक हवा के प्रभाव से रेगिस्तानी रेत के कण गोल और चिकने हो जाते हैं।
-
जब इन्हें सीमेंट और पानी के साथ मिलाया जाता है, तो वे कंक्रीट को मजबूती से पकड़ नहीं पाते।
2. निर्माण कार्यों के लिए चाहिए खुरदरी रेत
-
मजबूत इमारतें, पुल, सड़कें और मेगाप्रोजेक्ट्स बनाने के लिए कोनेदार और खुरदरी रेत की जरूरत होती है।
-
ऐसी रेत नदियों, झीलों या समुद्र के किनारों से मिलती है — रेगिस्तान से नहीं।
ऑस्ट्रेलिया कैसे बना रेत का बड़ा सप्लायर
-
2023 में ऑस्ट्रेलिया ने करीब 273 मिलियन डॉलर की रेत का निर्यात किया और यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रेत निर्यातक बना।
-
इसी साल सऊदी अरब ने ऑस्ट्रेलिया से लगभग $1.4 लाख की कंस्ट्रक्शन ग्रेड रेत खरीदी।
Vision 2030 और रेत की ज़रूरत
सऊदी अरब के मेगाप्रोजेक्ट्स जैसे:
-
NEOM Smart City
-
The Line (सीधी स्मार्ट सिटी)
-
Red Sea Project
-
Qiddiya एंटरटेनमेंट ज़ोन
इनके लिए हाई-क्वालिटी कंक्रीट चाहिए, जो सिर्फ खास रेत से ही तैयार होता है।
वैश्विक रेत संकट (Global Sand Crisis)
United Nations Environment Programme (UNEP) ने चेतावनी दी है कि दुनिया रेत संकट (sand crisis) की ओर बढ़ रही है। हर साल लगभग 50 बिलियन टन रेत की जरूरत होती है — यह पृथ्वी पर सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला ठोस पदार्थ बन गया है।लेकिन इसमें से बहुत कम मात्रा ही निर्माण कार्यों के लिए उपयुक्त होती है।
क्या नुकसान हो रहा है?
-
नदियों की कटाई, प्राकृतिक निवासों का नुकसान, और जैव विविधता में गिरावट।
समाधान क्या है?
-
M-Sand (मैन्युफैक्चर्ड सैंड): पत्थरों को क्रश कर बनाई गई रेत।
-
Recycled Construction Waste: पुरानी इमारतों से निकाली गई सामग्रियों का दोबारा उपयोग।




