संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), बहरीन, मिस्र, इंडोनेशिया, जॉर्डन, नाइजीरिया, फिलिस्तीन, कतर, सऊदी अरब, तुर्की, अरब लीग और इस्लामी सहयोग संगठन (OIC) ने एक साझा बयान में इजरायल की संसद (कनेस्सेट) द्वारा वेस्ट बैंक पर कथित “इजरायली संप्रभुता” लागू करने की मंजूरी की कड़ी आलोचना की है।
इन देशों ने कहा कि यह फैसला अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का खुला उल्लंघन है, जो 1967 से कब्जे में लिए गए फिलिस्तीनी इलाकों में किसी भी तरह की बस्तियों को अवैध मानते हैं। बयान में यह भी दोहराया गया कि इजरायल का कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों, जिसमें पूर्वी यरूशलम भी शामिल है पर कोई कानूनी अधिकार नहीं है। ऐसे एकतरफा कदमों का कोई वैध असर नहीं होता और इससे उन क्षेत्रों की स्थिति नहीं बदली जा सकती।
इन देशों ने चेतावनी दी कि इजरायल की ये कार्रवाइयां क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा सकती हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वो इस अवैध कब्जे को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाएं। सभी देशों ने दो-राज्य समाधान का समर्थन दोहराया, जिसमें 4 जून 1967 की सीमाओं के आधार पर स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना की बात कही गई है, जिसकी राजधानी पूर्वी यरूशलम हो।
इससे पहले ओमान ने भी इस प्रस्ताव की आलोचना करते हुए कहा था कि यह कदम अंतरराष्ट्रीय कानून और शांति प्रयासों की खुली अवहेलना है। ओमान ने गाज़ा पट्टी और अन्य कब्जे वाले इलाकों में भोजन, दवाइयों और मानवीय सहायता के अवरोध की भी कड़ी निंदा की और इसके लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया।




