यूएई में मोईदीनब्बा उमर बेरी नाम का एक भारतीय व्यक्ति बीते 20 सालों से एक ठगी नेटवर्क चला रहा था। वो अलग-अलग कंपनियों के नाम पर लोगों से करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करता था। लेकिन एक भारतीय महिला शाहिना शब्बीर ने उसका पर्दाफाश कर दिया। शाहिना को भी उसके एक फर्जी चेक से 37,878 दिरहम का नुकसान हुआ था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कोर्ट में केस लड़ा।
अजमान की एक अदालत ने बेरी को दोषी पाया और उसे सजा सुनाई। चार दिन बाद उसे भारत भेज दिया गया, जहां वह पहले से ही नकली करेंसी के केस में शामिल था। शाहिना की कंपनी ने बेरी की बनाई एक नकली कंपनी ‘सेवन एमिरेट्स स्पाइसेज़’ को जून 2023 में कुछ सामान सप्लाई किया था। पेमेंट के लिए जो चेक दिया गया, वह फर्जी निकला। लेकिन शाहिना ने केस लड़ा और पुलिस ने भी उनका साथ दिया।
शाहिना ने बताया, “मैंने नया बिज़नेस शुरू ही किया था और इतने पैसे का नुकसान मेरे लिए बहुत बड़ा झटका था। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मुझे यकीन था कि अगर सही लोग इस केस को देखेंगे, तो इंसाफ ज़रूर मिलेगा।” वो कहती हैं कि ठग बहुत चालाक था। उसने खुद को कंपनी का मालिक बताया, लेकिन असल में कंपनी किसी और के नाम पर थी। शाहिना की समझदारी और सबूतों से ही पुलिस उसे पकड़ सकी। अदालत ने शाहिना को कुल 41,878 दिरहम का मुआवजा देने का आदेश दिया और दोषी को भारत डिपोर्ट कर दिया गया। शाहिना कहती हैं, “मैंने ये लड़ाई सिर्फ अपने लिए नहीं लड़ी, बल्कि उन छोटे व्यापारियों के लिए भी जो डर के मारे आवाज़ नहीं उठाते। अब उन्हें भी हिम्मत मिलेगी। ये दिखाता है कि UAE में कानून पर भरोसा किया जा सकता है।”
जांच से पता चला कि बेरी ने कई बार ऐसा किया नई कंपनियां खोलता, फर्जी पहचान से काम करता और चेक देकर सामान मंगवा लेता। बाद में वो कंपनी के नाम पर किसी बेरोज़गार व्यक्ति को बैठा देता और खुद गायब हो जाता। सामान किसी तीसरे को बेच दिया जाता।
बेरी कम से कम 12 नकली कंपनियों से जुड़ा हुआ था जैसे कि रॉयल जनरल ट्रेडिंग, ब्रज़्ज़ा ट्रेडिंग, लाइफलाइन सर्जिकल, आदि। कई व्यापारियों ने बताया कि उन्हें भी इससे लाखों का नुकसान हुआ। बेरी को अगस्त 2023 में गिरफ्तार किया गया था और जून 2024 में दोषी करार देकर भारत भेज दिया गया, जहां उसे नकली नोटों की तस्करी के मामले में पहले ही इंटरपोल द्वारा खोजा जा रहा था।




