हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि भारत से आयात होने वाले सामानों पर 25% अतिरिक्त टैक्स लगाया जाएगा। इसका कारण है कि भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखे हुए है। इससे कुछ उत्पादों जैसे इस्पात (स्टील) और एल्यूमिनियम पर कुल 50% आयात शुल्क लग सकता है।
6 अगस्त को अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि भारत अगर रूस से तेल खरीदना जारी रखता है, तो उस पर 25% और आयात शुल्क लगाया जाएगा। इससे भारत से अमेरिका को होने वाला निर्यात और महंगा हो जाएगा। ऐसी स्थिति में भारत के पास विकल्प बचता है कि वो यूएई और सऊदी अरब में अपने व्यापार को स्थापित करें। नई टैक्स नीति के अनुसार, UAE और सऊदी अरब से अमेरिका को जाने वाले उत्पादों पर सिर्फ 10% टैक्स लगता है, जो अमेरिकी बाजार में काम कर रही कंपनियों के लिए काफी अच्छा है। ऐसे में भारतीय कंपनियां चाहेंगी कि वे सीधे UAE या सऊदी अरब में फैक्ट्री लगाएं और वहीं से सामान अमेरिका भेजें, ताकि उन्हें भारत से सीधे भेजने पर लगने वाला भारी टैक्स न देना पड़े। जैसे कि भारत की टेक्सटाइल कंपनी Kitex Garments, जो अमेरिका को बहुत निर्यात करती है उसके लिए ये टैक्स बहुत बोझ बन सकता है।
एक बड़ी भारतीय कंपनी के अधिकारी ने कहा “हमें नहीं लगता कि भारत पर 50% टैक्स वाकई लगेगा। अमेरिका से बातचीत की गुंजाइश है। लेकिन अगर टैक्स 15-20% भी रहा, तब भी भारतीय कंपनियों के लिए UAE में निवेश करना समझदारी होगी।” असल में, UAE के इंडस्ट्रियल जोन जैसे दुबई इंडस्ट्रियल सिटी और KIZAD में पहले से ही कई भारतीय कंपनियां निवेश कर रही हैं। अब जब अमेरिका में टैक्स बढ़ने लगे हैं, तो ऐसे देशों में फैक्ट्रियां खोलना ज़रूरी हो गया है। उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि UAE में बनी ये फैक्ट्रियां खासतौर पर अमेरिका और अन्य देशों में माल भेजने के लिए बनाई जा रही हैं। अब और कंपनियां भी यही सोचने लगी हैं।
UAE-India व्यापार समझौते (CEPA) के फायदे
UAE और भारत के बीच CEPA नामक व्यापार समझौता हुआ है, जिससे भारतीय उत्पादों पर UAE में सिर्फ 5% या कई मामलों में 0% टैक्स लगता है। अगर आप UAE के फ्री ज़ोन से माल दूसरे देशों में भेजते हैं, तो कभी-कभी कोई टैक्स ही नहीं लगता।
IBPC दुबई के महासचिव डॉ. साहित्य चतुर्वेदी ने कहा “भारतीय कंपनियों को यह समझना चाहिए कि UAE से माल भेजने पर टैक्स बहुत कम लगता है – इसलिए निवेश का यह सही समय है।” लेकिन कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि कंपनियों को UAE को सिर्फ ट्रांज़िट प्वाइंट (यानि सिर्फ रास्ते के तौर पर) की तरह इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। “अमेरिका भविष्य में ट्रांज़िट के जरिए टैक्स से बचने वाले मामलों पर सख्ती कर सकता है।”
Barjeel Geojit Financial Services के CEO कृष्णन रामचंद्रन ने कहा “अगर उत्पादन और मूल्य-वृद्धि (value addition) UAE में होती है, तो अमेरिका में उस माल पर सिर्फ 10% टैक्स लगेगा। यही भारतीय कंपनियों को करना चाहिए।”
परफ्यूम इंडस्ट्री का उदाहरण- UAE से परफ्यूम अमेरिका को 10% टैक्स के साथ भेजा जा रहा है और व्यापार सामान्य रूप से चल रहा है। Jimmy Aventus के मालिक Jimmy Chacko ने कहा कि हम अक्टूबर से दिसंबर के व्यस्त सीजन की तैयारी कर रहे हैं।
निष्कर्ष
| कारण | क्या हो रहा है |
|---|---|
| ट्रंप की टैक्स धमकी | भारतीय कंपनियां अमेरिका में निर्यात कम नुकसान में करना चाहती हैं |
| समाधान | UAE/सऊदी में फैक्ट्री लगाकर वहीं से अमेरिका को निर्यात |
| लाभ | कम टैक्स, CEPA के फायदे, मजबूत लॉजिस्टिक्स |
| खतरा | ट्रांज़िट के ज़रिए टैक्स बचाने की रणनीति भविष्य में खतरे में पड़ सकती है |




