भारत और रूस-नेतृत्व वाले यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (EAEU) ने बुधवार को एक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के लिए बातचीत की शुरुआत की। यह कदम ऐसे समय आया है जब अमेरिका के साथ व्यापार वार्ताएं टूट गईं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को “डेड इकॉनमी (मृत अर्थव्यवस्था)” कहा और भारतीय उत्पादों पर शुल्क बढ़ाकर 50% कर दिया, जो दुनिया में सबसे ऊंचा है।
भारत का झुकाव रूस-चीन-ब्राज़ील की ओर
अमेरिका की कठोर आर्थिक नीतियों के चलते भारत ने अब चीन, रूस और ब्राज़ील की ओर रुख करना शुरू किया है। अमेरिकी वार्ताओं के टूटने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत की है और जल्द ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाक़ात की उम्मीद है।
EAEU के साथ समझौते का महत्व
EAEU में रूस, आर्मेनिया, बेलारूस, कज़ाख़स्तान और किर्गिज़ रिपब्लिक शामिल हैं। इस समूह का कुल GDP लगभग 6.5 ट्रिलियन डॉलर है। 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से यह वार्ताएं ठप थीं। बुधवार को मॉस्को में FTA वार्ता की रूपरेखा (ToR) पर हस्ताक्षर हुए। भारत की ओर से वाणिज्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव अजय भडू और EAEU की ओर से मिखाइल चेरेकेव ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। मंत्रालय ने कहा कि इस FTA से नए बाजार खुलेंगे, निवेश बढ़ेगा और MSME सेक्टर को बड़ा फायदा होगा।
भारत–EAEU व्यापार पर नज़र
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2024 में भारत–EAEU व्यापार 69 अरब डॉलर का रहा, जो 2023 की तुलना में 7% ज्यादा है।
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रूस अब भारत की कुल कच्चे तेल की आयात जरूरतों का 35-40% पूरा करता है (2019 में यह हिस्सा सिर्फ 2% था)।
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लेकिन भारत का रूस को निर्यात सिर्फ $2.39 अरब (FY19) से बढ़कर $4.88 अरब (FY25) हुआ है, जबकि व्यापार घाटा $60 अरब से अधिक हो गया है।
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संतुलन बनाने के लिए भारत ने रुपया-रूबल व्यापार को फिर से शुरू करने की कोशिशें तेज की हैं।
अमेरिकी दबाव और भारत के लिए चुनौतियां
अमेरिका द्वारा लगाए गए 25% से 50% तक के शुल्क ने भारत के निर्यात पर गहरा असर डाला है।
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Kotak रिपोर्ट: भारत को सालाना $0-35 अरब तक का निर्यात नुकसान हो सकता है। अगर शुल्क 50% तक चला गया तो $55 अरब का निर्यात जोखिम में आ जाएगा।
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Crisil रिपोर्ट: 27 अगस्त 2025 से अतिरिक्त 25% शुल्क लागू होने पर अमेरिका को भारत से होने वाला अधिकांश निर्यात (जैसे रेडीमेड गारमेंट, केमिकल, एग्रो-केमिकल, कैपिटल गुड्स, सोलर पैनल) अव्यवहारिक हो जाएगा।
भारत की रणनीति
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अमेरिका के बजाय भारत अब रूस, चीन और ब्राज़ील के साथ व्यापारिक साझेदारी पर जोर दे रहा है।
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रूस भारत के लिए टेक्सटाइल और फार्मास्यूटिकल्स का बड़ा बाजार बन सकता है।
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सरकार का ध्यान निर्यात बाजारों के विविधीकरण और डॉलर पर निर्भरता कम करने पर है।




