सऊदी अरब के क़सीम क्षेत्र के उत्थल शहर के मोहम्मद अल मंसूर ने 19 वर्ष की आयु में पहली बार रक्तदान किया था। जब उन्होंने देखा कि अस्पताल में एक मरीज़ को खून की तुरंत जरूरत है। उस पल ने उनके जीवन की दिशा तय कर दी और मानवीय जिम्मेदारी निभाने का संकल्प दिलाया।
आज 40 वर्ष की उम्र में मोहम्मद अल मंसूर अब तक 45 बार रक्तदान कर चुके हैं, जिनमें ज़्यादातर खून कार हादसों के शिकार लोगों और ऑपरेशन से गुज़र रहे मरीज़ों के लिए दिया गया। उनका दुर्लभ O-नेगेटिव ब्लड ग्रुप लगभग सभी ब्लड ग्रुपों के साथ मेल खाता है, जिससे वे और भी मूल्यवान दाता साबित हुए हैं।
उनकी सेवाओं के लिए 2019 में उन्हें किंग अब्दुलअज़ीज़ मेडल से सम्मानित किया गया और हाल ही में क़सीम हेल्थ क्लस्टर ने भी उन्हें प्रशंसा पत्र प्रदान किया। अल मंसूर का कहना है कि यह उनका कर्तव्य है और इस जिम्मेदारी की भावना ने उन्हें लगातार रक्तदान के लिए प्रेरित किया।
सऊदी अरब के क़सीम क्षेत्र में सात विशेष ब्लड बैंक संचालित हैं और हाल ही में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व में शुरू राष्ट्रीय रक्तदान अभियान के बाद से मांग और भागीदारी में बढ़ोतरी देखी जा रही है।
इस पहल का लक्ष्य 2030 तक देश में 100 प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान सुनिश्चित करना है, जो विज़न 2030 के अंतर्गत एक स्वस्थ, मानवीय मूल्यों से जुड़ा और सामाजिक रूप से संलग्न समाज बनाने की दिशा में अहम कदम है।




