महुआ विधानसभा सीट पर इस बार का चुनाव बेहद चर्चित रहा क्योंकि मैदान में तेजप्रताप यादव थे। लेकिन नतीजे आने के बाद तस्वीर बिल्कुल उलटी निकली। तेजप्रताप यादव न सिर्फ़ हारे, बल्कि तीसरे स्थान पर फिसल गए, जबकि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के संजय कुमार सिंह ने भारी बहुमत से जीत हासिल की।
अंतिम परिणाम (27/27 राउंड पूरे होने के बाद):
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संजय कुमार सिंह (LJP-R) — 87,641 वोट — विजयी
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मुकेश कुमार रौशन (RJD) — 42,644 वोट — हार
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तेज प्रताप यादव (Janshakti Janta Dal) — 35,703 वोट — हार (तीसरे स्थान)
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अमित कुमार (AIMIM) — 15,783
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आशमा परवीन (Independent) — 7,427
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रिमझिम देवी (BSP) — 6,739
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राम सागर साहनी (Independent) — 3,649
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इंद्रजीत प्रधान (Jan Suraaj Party) — 2,386
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राजू महतो (Bhartiya Sarthak Party) — 1,372
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नरेश राय — 1,110
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अमरेश कुमार — 1,005
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अखिलेश ठाकुर (NCP) — 1,000
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सरिता साह — 940
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जय नारायण साह — 652
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ललित कुमार घोष (SUCI) — 560
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NOTA — 2,717

तेजप्रताप यादव को इतनी बड़ी हार क्यों मिली?
1. वोट पूरी तरह LJP–RJD में बंट गया, तेजप्रताप तीसरे खेमे में फंस गए
महुआ में पारंपरिक लड़ाई RJD बनाम LJP की रही है। इस बार तेजप्रताप नई पार्टी से मैदान में थे, जिससे उनकी पकड़ कमजोर पड़ी और वोट तीन हिस्सों में बंट गए।
उनकी व्यक्तिगत लोकप्रियता भी इस बार सीट बचाने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
2. जेडी(यू)–बीजेपी गठबंधन का अप्रत्यक्ष असर
पूरे तिरहुत–वाइशाली बेल्ट में NDA लहर थी। इससे LJP-R के उम्मीदवार को साफ बढ़त मिलती गई।
3. नया चुनाव प्रतीक, नई पार्टी — लोकल नेटवर्क कमजोर
तेजप्रताप RJD के दिनों में जिन बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं पर टिके थे, उनमें से कई इस बार उनके साथ नहीं दिखे।
इससे वोट की जमीनी आपूर्ति प्रभावित हुई।
4. 2025 चुनाव में तेजप्रताप की राजनीतिक पकड़ घटी
तेजप्रताप यादव लंबे समय से अपने बयानों और सोशल मीडिया उपस्थिति के लिए सुर्खियों में रहते थे, लेकिन
इस बार सीट पर मजबूत संगठन, जमीनी कैडर और गठबंधन की ताकत भारी पड़ी।




