बिहार सरकार ने राज्य के पर्यटन क्षेत्र को मजबूती देने के लिए एक अहम योजना पर काम तेज कर दिया है। कैमूर–रोहतास से लेकर मुंगेर–भागलपुर तक फैले इलाके में नए पर्यटन केंद्र विकसित किए जाएंगे। इस पूरे क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सात जिलों का डेस्टिनेशन डेवलपमेंट प्लान तैयार किया जा रहा है, जिसमें इको-टूरिज्म पर विशेष फोकस रहेगा।
सात जिलों को किया गया चिन्हित
पर्यटन विभाग के अनुसार जिन सात जिलों को इस योजना में शामिल किया गया है, उनमें कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद, गया, मुंगेर, बांका और भागलपुर शामिल हैं। इन जिलों में प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक स्थल, ऐतिहासिक धरोहर और वन क्षेत्र पहले से मौजूद हैं, लेकिन अब इन्हें योजनाबद्ध तरीके से विकसित किया जाएगा।
इको-टूरिज्म बनेगा मुख्य आधार
नई योजना के तहत जंगल, झरने, पहाड़, झीलें और वन्यजीव क्षेत्रों को संरक्षित रखते हुए पर्यटन सुविधाएं विकसित की जाएंगी। सरकार का उद्देश्य है कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए जाएं। ट्रैकिंग पाथ, नेचर ट्रेल, व्यू प्वाइंट और इको-फ्रेंडली रिसॉर्ट जैसी सुविधाएं विकसित की जाएंगी।
नए फाइव-स्टार होटल और टूरिज्म इंफ्रास्ट्रक्चर
पर्यटन विभाग ने जानकारी दी है कि राज्य में सात नए फाइव-स्टार होटल विकसित करने की योजना है। इनमें से तीन होटल पटना में बनेगा। इसके अलावा बोधगया, राजगीर और अन्य प्रमुख पर्यटन स्थलों के पास भी उच्च स्तरीय होटल, होम-स्टे और रिसॉर्ट विकसित किए जाएंगे। निजी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सरकार विशेष प्रोत्साहन पैकेज भी दे रही है।
धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों का होगा विकास
कैमूर और रोहतास क्षेत्र में शेरशाह सूरी से जुड़े ऐतिहासिक स्थल, रोहतासगढ़ किला, कुदरा और कैमूर पहाड़ियां प्रमुख आकर्षण हैं। वहीं मुंगेर और भागलपुर क्षेत्र में गंगा घाट, विक्रमशिला महाविहार, बाबा अजगैबीनाथ धाम और मंदार पर्वत जैसे स्थल हैं, जिन्हें आधुनिक सुविधाओं से जोड़ा जाएगा।
स्थानीय लोगों को मिलेगा फायदा
इस योजना से होटल, गाइड सेवा, परिवहन, हस्तशिल्प और स्थानीय उत्पादों की मांग बढ़ेगी। इससे गांव और कस्बों में रहने वाले लोगों को सीधे रोजगार और आय के नए अवसर मिलेंगे। सरकार का मानना है कि यह परियोजना बिहार को देश के प्रमुख पर्यटन राज्यों की कतार में खड़ा करने में मदद करेगी।
कुल मिलाकर, कैमूर से भागलपुर तक पर्यटन विकास की यह योजना बिहार की अर्थव्यवस्था, रोजगार और राज्य की पहचान को नई दिशा देने वाली साबित हो सकती है।





