अजमान में रेस्टोरेंट मैनेजर के तौर पर काम करने वाले 30 वर्षीय अमजद रहमान पी.के. ने छुट्टी लेकर भारत के केरल राज्य की उड़ान भरी और वहां एक 10 साल के अजनबी बच्चे की ज़िंदगी बचाने के लिए अपने स्टेम सेल्स दान कर दिए। बच्चा एक दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा था और अमजद का स्टेम सेल मैच मिलना उसकी ज़िंदगी के लिए उम्मीद लेकर आया।
अमजद ने बताया कि वह 11 साल पहले, जब कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे, तब उन्होंने DATRI (भारत का बड़ा स्टेम सेल डोनर रजिस्ट्री) में अपना नाम दर्ज कराया था। उसी रजिस्ट्री से उनकी पहचान हुई और यह मौका मिला। अमजद ने कहा, “जब मुझे पता चला कि मेरे स्टेम सेल इस बच्चे से मैच हुए हैं, तो मैंने उसे अपने छोटे भाई जैसा ही समझा। मेरे भाई की उम्र 9 साल है और यह बच्चा 10 साल का है। मुझे बस इतना पता है कि उसकी उम्र 10 साल है और उसका वजन 31 किलो है। मुझे उसकी जाति, धर्म या पृष्ठभूमि कुछ भी नहीं पता। और सच कहूँ तो वह मेरे लिए मायने भी नहीं रखता।”
स्टेम सेल दान से पहले अमजद को चार दिन तक दवाइयों का कोर्स लेना पड़ा ताकि शरीर में स्टेम सेल्स की संख्या बढ़ सके। इसके बाद शुक्रवार को उन्होंने सफलतापूर्वक स्टेम सेल्स दान किए। डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि जिस बच्चे का ब्लड ग्रुप O पॉजिटिव है, वह धीरे-धीरे बदलकर अमजद का ब्लड ग्रुप AB पॉजिटिव हो जाएगा। इस बात को सुनकर अमजद बेहद भावुक हो गए और इसे “खास रिश्ता” बताया।
अमजद का कहना है कि लोग अक्सर स्टेम सेल डोनेशन को लेकर डरते हैं या कई भ्रांतियां रखते हैं। “बहुत से लोगों ने मुझे भी रोका और कहा कि यह सेहत के लिए हानिकारक है। लेकिन मैं बिल्कुल ठीक हूं और मैं सबको बताना चाहता हूं कि स्टेम सेल डोनेशन से कोई नुकसान नहीं होता। हमें और अधिक लोगों को इस बारे में जागरूक करना चाहिए ताकि ज़रूरत पड़ने पर ज़्यादा से ज़्यादा लोग दूसरों की जान बचा सकें।”
अमजद लंबे समय से सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं। 18 साल की उम्र से वह नियमित रूप से ब्लड डोनेट कर रहे हैं। वह ब्लड डोनर्स केरल (BDK) संगठन के ज़िला अध्यक्ष भी रह चुके हैं और अब यूएई चैप्टर के सक्रिय सदस्य हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान और 2024 की बाढ़ में उन्होंने कई लोगों की मदद की। उनका जीवन दर्शन भी यही है: “मैं बहुत लंबा जीवन नहीं जीना चाहता, लेकिन जब तक ज़िंदा हूं, ज़्यादा से ज़्यादा लोगों की मदद करना चाहता हूं। मदद करने के लिए बड़ा काम होना ज़रूरी नहीं, छोटी-सी नेकी और मुस्कान भी आज के समय में बहुत मायने रखती है।”
अमजद ने लोगों से अपील की है कि वे आगे आएँ और रक्त, प्लेटलेट्स और स्टेम सेल्स दान करके ज़िंदगी बचाएं। उन्होंने कहा, “हम मरने के बाद भी अपने अंग दान कर किसी की जान बचा सकते हैं। अगर मुझे फिर कभी किसी मरीज से मैच मिला तो मैं खुशी-खुशी दोबारा स्टेम सेल्स दान करूंगा।”




