पिछले हफ़्ते मैं अपने शहर में एक ई-ऑटो में बैठा। बात-चीत के दौरान पता चला कि ड्राइवर कुछ साल पहले खाड़ी देश (अरब) में काम करता था। मैंने पूछा,
“भाई, अरब छोड़कर वापस क्यों आ गए?”
वो मुस्कुराया और बोला —
“वहाँ सालों तक काम किया, खर्चे, दबाव, अकेलापन… सब झेला। लेकिन उतना कमा नहीं पाया जितना उम्मीद थी। फिर सोचा — अपने ही शहर में कुछ करूँ, कम कमाऊँ, पर सुकून का जीवन जीऊँ।”

इसके बाद उसने EV खरीदकर ऑटो चलाना शुरू किया। उसके तर्क ने मुझे और भी चौंका दिया।
मैंने पूछा, “पेट्रोल वाला ऑटो सस्ता पड़ता, फिर EV क्यों?”
उसने बहुत सादा और लॉजिकल जवाब दिया —
“पेट्रोल ऑटो 2.9 लाख का पड़ता है और EV करीब 3.4 लाख का, हाँ 50 हज़ार ज़्यादा है… लेकिन सुनिए, असली खेल खरीद में नहीं, रोज़ की बचत में है।”
उसने अपना पूरा हिसाब खोल दिया:
🚗 120 km रोज़ चलाता हूँ
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पेट्रोल में महीने का खर्च: ₹12,000 + ₹2,000 मेंटेनेंस
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EV में खर्च: सिर्फ ₹1,300 बिजली बिल + बहुत कम मेंटेनेंस
यानी हर महीने लगभग ₹12,000 की सीधी बचत!
एक साल में यही बचत ₹1.5 लाख से ज़्यादा!
फिर वो बोला —
“अरब में पूरी ज़िंदगी खपा दी, तब भी उतनी बचत नहीं होती थी। आज मैं अपने शहर में परिवार के साथ हूँ, सुकून में हूँ, और ऊपर से महीने-महीने कमाई और बचत दोनों बढ़ रही है। जो पैसा पेट्रोल में जलता था, अब मेरे घर में बचत बनकर आ रहा है। यही असली ‘गुलामी से आज़ादी’ है।”
उसकी आख़िरी लाइन मेरे दिल में उतर गई —
“कमाई विदेश से नहीं, दिमाग़ से होती है।”
आज उसके पास 2 EV ऑटो, 2 ड्राइवर और लाखों रुपये तक की मासिक कमाई के अवसर हैं — और पूरा बिज़नेस उसी शहर में जहाँ वो पैदा हुआ था।




