बढ़ रहे हैं स्ट्रोक्स के मामले
मौजूदा जीवन शैली युवाओं को ब्लड प्रेशर और डायबिटीज का मरीज बना रही है। यही कारण है कि ज्यादातर स्ट्रोक्स के मामले में बढ़ोतरी हुई है। यह कहा गया है की एक्सरसाइज की कमी, स्मोकिंग और 9am से लेकर 5pm तक के जॉब में लंबे समय तक बैठकर काम करना युवाओं के लिए हानिकारक साबित हो रहा है। Prof. R K Garg, HoD, neurology at King George’s Medical University (KGMU) के अनुसार स्ट्रोक्स के मामले 45 साल से कम उम्र के लोगों में भी देखा जा रहा है।
करियर को नई दिशा देने के लिए बिना स्वास्थ्य का ख्याल किए ताबड़तोड़ मेहनत जारी
यह बताया गया है कि 40 से लेकर 50 वर्ष तक के उम्र के लोगों में काम को लेकर बहुत ही टेंशन रहती है और वह अपनी करियर को नई दिशा देने की स्थिति में रहते हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है और वह बीमारी के शिकार हो जाते हैं।
यह बताया गया है कि अचानक से फेस, हांथ या पैर में कमजोरी आना, बोलने में परेशानी होना, अचानक कन्फ्यूजन होना, अचानक आंख से दिखना बंद हो जाना, चलने में परेशानी होना आदि स्ट्रोक्स की निशानी है।
स्ट्रोक को “brain attack” भी कहा जाता है जब ब्रेन के किसी पार्ट में ब्लड का फ्लो रुक जाता है।