दिल्ली में यात्रा करने के लिए मेट्रो के साथ-साथ लग्जरी इलेक्ट्रिक बसे हैं सड़कों पर दौड़ रही हैं लेकिन अब इन सब के अलावा एक और यात्रा साधन शुरू होने जा रहा है. यमुना दिल्ली के लिए एक बार फिर से नया जीवनदान बनने जा रही है. रोजमर्रा की जिंदगी में ट्रैफिक से गुजरने के जगह अब लोग बिना ट्रैफिक के यमुना नदी के जल मार्ग का प्रयोग करके अपना यातायात पूरा कर सकेंगे.
26 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी जलमार्ग पर यात्रा
यमुना नदी में सफर और माल ढुलाई के लिए बनाई गई जल मार्ग योजना धरातल पर उतरने लगी है. एलजी बीके सक्सेना की पहल पर योजना के ट्रायल के रूप में भारतीय नौसेना की एक वर्क बोट शनिवार को यमुना में उतारी गई। बोट ने सिग्नेचर ब्रिज से आइटीओ ब्रिज के बीच 11 किलोमीटर का सफर तय किया। यह ट्रायल पूरी तरह सफल रहा। अब आइटीओ ब्रिज से आगे भी बोट परिचालन के लिए परीक्षण किया जाएगा, ताकि निकट भविष्य में माल ढुलाई और यात्रियों के आवागमन के लिए यमुना नदी में जल मार्ग तैयार किया जा सके।
Seat, Route और Speed जानिए
11 मीटर लंबी और 1.7 मीटर चौड़ी यह वर्क बोट तीन जून को कोच्चि से सड़क मार्ग के जरिये दिल्ली लाई गई थी, जिसे सिग्नेचर ब्रिज के पास खड़ा किया गया था। करीब 12 टन वजनी इस बोट में 35 यात्री सवार हो सकते हैं और 14 नाटिकल मील प्रतिघंटा (लगभग 26 किमी प्रतिघंटा) की गति से चल सकती है। इसका ट्रायल सफल रहा।
यमुना में भर गया था मलबा अब सब कुछ ठीक.
यमुना में बोट चलाने और उसके परीक्षण की योजना पहले भी बनाई गई थी लेकिन पानी में गंदगी, यमुना की सफाई नहीं होने, मलबा भरे होने के कारण इस नदी में बोट परिचालन के लिए पर्याप्त गहराई नहीं थी। इस वजह से योजना पर अमल नहीं हो पाया था। बाद में एनजीटी ने यमुना की सफाई के मामले पर उच्च स्तरीय समिति गठित की गई। इसके बाद एलजी वीके सक्सेना यमुना की सफाई और उसमें बोट चलाने की योजना को लेकर सक्रियता दिखाई।
दोबारा हुआ योजना पर काम
एलजी के प्रयासों के बाद यमुना के सीमित हिस्से में नौका को एक परिवहन माध्यम के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई। जल मार्ग का एक चैनल तैयार करने के लिए नदी में एक मार्ग चिह्नित किया गया और उपकरणों से नदी से गाद निकाली गई। इसके बाद 22 जून तक यमुना में करीब 30 मीटर चौड़ा जल मार्ग का एक चैनल तैयार किया गया। बाद में परियोजना की सफलता के मद्देनजर सिग्नेचर ब्रिज से आइटीओ ब्रिज तक ट्रायल का फैसला किया गया और इसके अनुरूप बोट के परिचालन का ट्रायल किया गया।