आमतौर पर एयरपोर्ट पर अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए लंबी-लंबी लाइनों में खड़े होकर इंतजार करना। लेकिन दुबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा इस समस्या का समाधान करने की तैयारी में है। दुबई दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जो एयरपोर्ट पर AI-ड्रिवन, पासपोर्ट-फ्री इमिग्रेशन कॉरिडोर शुरू कर रहा है। इस नए सिस्टम के अंतर्गत यात्रियों को अपने पासपोर्ट या किसी कागज़ी दस्तावेज़ की ज़रूरत नहीं होती। जानकारी के लिए आपको बता दें कि AI और बायोमेट्रिक तकनीक (जैसे चेहरे की पहचान) से पहचान तुरंत हो जाती है। इस सिस्टम के तहत यात्री केवल कॉरिडोर से गुजरते हैं और AI-सिस्टम उनके चेहरे और अन्य बायोमेट्रिक डेटा से पहचान करता है। इससे यात्रियों के लिए काफी सुविधा हो गई है और लंबी-लंबी कतारों में लगने वाले वक्त से भी निजात मिल रही है।
आइए जानते है ये सिस्टम कैसे काम करता है
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यह पहल दुबई एयरपोर्ट और तकनीकी कंपनियों के सहयोग से बनाई गई है।
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कंप्यूटर विज़न, मशीन लर्निंग और सुरक्षित डेटा प्रबंधन का इस्तेमाल किया जाता है।
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फिलहाल यह सिस्टम ट्रायल फेज में है और कुछ चुनिंदा यात्रियों के लिए लागू है। भविष्य में इसे और अधिक टर्मिनल्स और यात्रियों के लिए बढ़ाया जाएगा।
डेटा प्राइवेसी को लेकर चिंतित
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AI कॉरिडोर में चेहरे और बायोमेट्रिक डेटा का उपयोग होता है।
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कुछ लोग डेटा सुरक्षा और गलत इस्तेमाल को लेकर चिंतित हैं।
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दुबई एयरपोर्ट ने कहा कि सिस्टम UAE के कड़े डेटा प्रोटेक्शन नियमों का पालन करता है।
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यात्रियों को विकल्प दिया गया है कि वे AI कॉरिडोर का इस्तेमाल न करें और पारंपरिक पासपोर्ट चेक करायें।
भविष्य में इस सिस्टम का प्रभाव
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अगर यह सिस्टम सफल रहा, तो दुनिया भर के एयरपोर्ट्स इसे अपनाने पर विचार कर सकते हैं।
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इससे कतारें कम होंगी, यात्रियों को समय की बचत होगी और एयरपोर्ट का संचालन आसान होगा।
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चुनौती यह है कि तकनीक को बड़े पैमाने पर लागू करते समय डेटा सुरक्षा और प्राइवेसी नियमों का पालन किया जाए।
दुबई एयरपोर्ट का AI-ड्रिवन पासपोर्ट-फ्री इमिग्रेशन कॉरिडोर यात्रियों के लिए यात्रा को तेज़, आसान और सुविधाजनक बनाने वाला कदम है और भविष्य में यह अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा का नया मानक बन सकता है।




