Adani, अड़ानी और अड़ानी जी नाम आपने जरूर सुना होगा। देश में इस वक्त राजनीति में विपक्ष के द्वारा हर हमले में यह नाम सबसे बड़ा नाम के तौर पर लिया जाता है और आरोप लगाया जाता है कि सरकार अदानी को फायदा पहुंचाने के लिए काम कर रही हैं।
अब नया मामला अदानी से ही जुड़ा हुआ है और सरकार के द्वारा उन्हें फेवर करने के लिए बनाई गई रणनीति के ऊपर ही है। मामला इस बार देश से नहीं बल्कि विदेश से हो गया है। संयुक्त अरब अमीरात के दुबई स्थित बड़े कंपनी को काम मिलने के बावजूद नियमों में बदलाव कर वह धारावी रीडिवेलपमेंट अदानी ग्रुप को दे दिया गया। अब इस मामले को लेकर दुबई किया कंपनी सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुकी है।
13 नवंबर को आने वाले फैसले में यह भी साफ हो जाएगा की सरकार जानबूझकर नियम बदल अदानी को फायदा पहुंचा रही थी या फिर सच में दुबई स्थित कंपनी जो अरबो रुपए लगाकर इस काम में अपनी दावेदारी दिख रही है वह अयोग्य है।
दुबई में रजिस्टर्ड SecLink Technologies Corporation नामक कंपनी ने भारत के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। कंपनी का आरोप है कि मुंबई के धारावी पुनर्विकास प्रोजेक्ट के लिए बोली प्रक्रिया जीतने के बाद सरकार ने नियम बदल दिए, जिससे उन्हें बाहर कर दिया गया।
धारावी — जो करीब 2.4 वर्ग किलोमीटर में फैला है और जहां 10 लाख से अधिक लोग रहते हैं — दुनिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्तियों में से एक है। इस प्रोजेक्ट की कीमत लगभग 125 अरब दिरहम आंकी गई है, जो एशिया के सबसे बड़े शहरी विकास कार्यों में शामिल है।

💼 कैसे शुरू हुआ विवाद
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महाराष्ट्र सरकार ने 2018 में वैश्विक कंपनियों को धारावी पुनर्विकास के लिए आमंत्रित किया।
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दुबई की SecLink कंपनी ने करीब 3 अरब दिरहम की सबसे ऊंची बोली लगाई और 2019 में शीर्ष बोलीदाता बनी।
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कंपनी ने 4 अरब डॉलर (13.5 अरब दिरहम) की फंडिंग की व्यवस्था भी कर ली थी।
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लेकिन 2020 में राज्य सरकार ने यह कहते हुए टेंडर रद्द कर दिया कि परियोजना में रेलवे की ज़मीन को शामिल करना है।
दो साल बाद 2022 में नया टेंडर जारी किया गया, जिसमें नए नियमों के तहत SecLink को अयोग्य घोषित कर दिया गया। यह कॉन्ट्रैक्ट अदाणी ग्रुप की कंपनी को दे दिया गया।
⚖️ सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में मामला
मार्च 2025 में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले की सुनवाई शुरू की।
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कोर्ट ने टिप्पणी की कि “नए नियम इस तरह बदले गए लगते हैं कि SecLink को बाहर कर दिया जाए”।
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अदालत ने 2018 से अब तक की सभी सरकारी फाइलें पेश करने का आदेश दिया।
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परियोजना से जुड़ी सभी रकम अब एक मॉनिटर किए गए बैंक खाते से ही संचालित होंगी ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
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अगली सुनवाई 13 नवंबर 2025 को होगी।
💰 दुबई निवेशकों की चिंता
SecLink के चेयरमैन निलंग शाह ने बताया कि कंपनी पहले ही 3.82 अरब दिरहम से ज़्यादा खर्च कर चुकी है।
उन्होंने कहा — “हमने फाइनेंसिंग स्ट्रक्चर को ज़िंदा रखा है, लेकिन हर देरी हमें और नुकसान पहुंचा रही है। हमारे यूएई निवेशक इस जोखिम का सामना कर रहे हैं।”
यह विवाद उन सभी दुबई निवेशकों के लिए एक चेतावनी बन गया है जो भारत के रियल एस्टेट या इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में पैसा लगाना चाहते हैं।
📅 अब तक की पूरी टाइमलाइन
| साल | घटना | विवरण |
|---|---|---|
| 2018 | महाराष्ट्र ने वैश्विक बोली मंगाई | दुबई की SecLink ने हिस्सा लिया |
| 2019 | कंपनी बनी सबसे बड़ी बोलीदाता | ₹3 अरब दिरहम की पेशकश |
| 2020 | टेंडर रद्द | रेलवे ज़मीन शामिल करने का तर्क |
| 2022 | नया टेंडर, नए नियम | SecLink को बाहर किया गया |
| 2023–24 | बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की | अदाणी ग्रुप को परियोजना मिली |
| 2025 (मार्च) | सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरू की | सभी रिकॉर्ड पेश करने का आदेश |
| 2025 (13 नवंबर) | अगली सुनवाई तय | राज्य सरकार रिकॉर्ड देगी |




