बुजुर्गों का करें सम्मान
कहा गया है कि इस मतलबी दुनिया में प्रेम और सम्मान की आशा केवल अपनों से ही करना बेहतर है। दूसरे तो दूसरे ही होते हैं, उनकी कही हुई बातें कोई दिल से नहीं लगाता। लेकिन कुछ बातें सही होते हुए भी सब पर लागू नहीं होती। कभी कभी पराएं किसी इंसान के लिए वो कर देते हैं जिसे करने में अपने हांथ खड़े कर देते हैं। बुढ़ापे में यह सारी बातें कहीं ज्यादा समझ आती हैं और मायने रखती हैं क्योंकि उस समय किसी भी व्यक्ति को सहारे, प्रेम और सम्मान की जरूरत होती है।
बेटे और बहू ने वृद्धाश्रम जाने को किया मजबूर
उत्तर प्रदेश से इसी से संबंधित एक मामला सामने आया है जिसमें बुजुर्ग पिता ने अपने बेटे और बहू से तंग आकर अपनी प्रॉपर्टी सरकार को दे दी है। उत्तर प्रदेश के खतौली कस्बे के 80 वर्षीय नाथू सिंह की यह कहानी बड़ी हृदयविदारक है। जिस उम्र में उन्हें अपने परिवार से प्रेम मान सम्मान की उम्मीद थी, उनके बेटे और बहू ने उन्हें लाचार समझ कर उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। खुद का घर होते हुए उन्हें वृद्धाश्रम में रहने के लिए मजबूर किया गया।
दान कर दी जमीन
लेकिन कहा जाता है कि किसी भी व्यक्ति को भगवान शरीर से कभी लाचार नहीं करता, वह इंसान खुद है जो अपने शरीर से हिसाब से अपने मन को लाचार बना देता है। शरीर दिखने में लाचार हो सकता है लेकिन वास्तविक शक्ति मन में समाहित होती है। इतना सब होने के बाद भी 80 वर्षीय नाथू सिंह में अपने मन को कमजोर नहीं पड़ने दिया और बाकी लोगों के लिए एक मिशाल पेश की। उन्होंने अपनी प्रॉपर्टी सरकार के नाम कर दी है और अपील की है कि उसका प्रॉपर्टी पर स्कूल या अस्पताल के रूप में इस्तेमाल किया जाए। उनके दान की कीमत करीब एक करोड़ रुपए है।