भारतीय शेयर बाजार में ऐसी स्थिति 30 साल बाद देखने को मिली है, जहां लगातार 5 महीनों तक बाजार ने नेगेटिव रिटर्न दिए हैं। इससे पहले 1996 में ऐसी स्थिति आई थी, लेकिन 2008 की वैश्विक मंदी और कोरोना संकट के दौरान भी बाजार ने इतनी लंबी अवधि तक कमजोरी नहीं दिखाई थी।
विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली
इस गिरावट के कई कारण हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि कैपिटल गेन टैक्स में बदलाव इसकी मुख्य वजह है। विदेशी निवेशकों (FIIs) ने पिछले दो महीनों में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बिकवाली की है।
Helios Capital के संस्थापक और CIO समीर अरोड़ा ने इसे सरकार की “सबसे बड़ी गलती” बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार की नई कर नीति विदेशी निवेशकों के मनोबल को कमजोर कर रही है, जिससे वे भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं।

बजट 2024 में क्या बदला?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई 2024 को कैपिटल गेन टैक्स में बदलाव किए:
- लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG): 10% से बढ़ाकर 12.5% कर दिया गया।
- शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG): 15% से बढ़ाकर 20% कर दिया गया।
कैपिटल गेन टैक्स क्या है?
यह शेयर, प्रॉपर्टी, सोना जैसी संपत्तियों को बेचने पर होने वाले मुनाफे पर सरकार द्वारा वसूला जाने वाला टैक्स है।
| टैक्स कैटेगरी | पहले | बजट 2024 के बाद |
|---|---|---|
| STCG (1 साल से कम) | 15% | 20% |
| LTCG (1 साल से ज्यादा) | 10% | 12.5% |
| प्रॉपर्टी (2 साल से कम) | स्लैब के अनुसार | 30% तक |
| प्रॉपर्टी (2 साल से ज्यादा) | 20% | 12.5% (नई संपत्ति) |
| सोना/डेट फंड | 20% | 12.5% |
| क्रिप्टो करेंसी | 30% | 30% (कोई बदलाव नहीं) |
क्या होगा असर?
- विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रह सकती है।
- बाजार में लंबी अवधि तक अस्थिरता बनी रह सकती है।
- सरकार को राजस्व तो मिलेगा, लेकिन विदेशी निवेश घट सकता है।
क्या सरकार कैपिटल गेन टैक्स में बदलाव करेगी? इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।




