जीएसटी काउंसिल ने भारत की अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलावों को मंजूरी दी है। इसके बाद 22 सितंबर से रोज़मर्रा में इस्तेमाल होने वाले कई सामान सस्ते हो जाएंगे।
नए ढांचे में अब दो मुख्य टैक्स स्लैब होंगे – 5% और 18%, जबकि पान मसाला, गुटखा और सिगरेट जैसे sin goods पर 40% टैक्स लगेगा। आम आदमी के लिए इसका मतलब है कि रोज़ाना इस्तेमाल की चीज़ें सस्ती होंगी और लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा बचेगा, जिससे अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा।
खाने-पीने और रोज़मर्रा की चीज़ें
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दूध: UHT मिल्क अब टैक्स-फ्री होगा (पहले 5%), वहीं कंडेंस्ड मिल्क, मक्खन, घी, पनीर और चीज़ पर टैक्स घटकर 5% या कुछ मामलों में शून्य हो गया है।
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अनाज और स्नैक्स: माल्ट, पास्ता, कॉर्नफ्लेक्स, बिस्किट, चॉकलेट व कोको प्रोडक्ट्स का टैक्स 12–18% से घटकर 5% होगा।
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मेवे: बादाम, पिस्ता, काजू, हेज़लनट्स और खजूर पर टैक्स 12% से घटकर 5% हो गया।
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चीनी और मिठाइयां: रिफाइंड शुगर, सिरप और टॉफ़ी, कैंडी जैसी मिठाइयां भी अब 5% स्लैब में आ गई हैं।
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अन्य पैकेज्ड फूड: तेल, घी, सॉसेज, मांस, मछली और माल्ट-आधारित फूड प्रोडक्ट्स पर भी सिर्फ 5% टैक्स लगेगा।
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नमकीन, भुजिया, मिक्सचर और चबेना 18% से घटकर 5% पर आएंगे।
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पैक्ड मिनरल वॉटर और बिना शक्कर वाले एरेटेड वॉटर भी 18% से घटकर 5% हो जाएंगे।
कृषि और उर्वरक
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उर्वरक पर टैक्स 12–18% से घटकर 5% होगा।
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बीज और अन्य कृषि उत्पादों पर भी टैक्स 12% से घटकर 5% कर दिया गया है।
स्वास्थ्य क्षेत्र
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जीवन रक्षक दवाइयों, मेडिकल उपकरणों और कुछ स्वास्थ्य संबंधी उत्पादों का टैक्स 12–18% से घटकर 5% या शून्य हो गया।
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जीवन और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा (पहले 12%)।
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थर्मामीटर और ग्लूकोमीटर जैसी मेडिकल डिवाइस अब 5% स्लैब में होंगी।
उपभोक्ता सामान
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सस्ते इलेक्ट्रिकल उपकरणों पर जीएसटी 28% से घटकर 18% हो गया।
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जूते-चप्पल और कपड़ों पर टैक्स 12% से घटकर 5% हो गया।
महंगे और निषिद्ध सामान
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पान मसाला, गुटखा, सिगरेट, जर्दा और बीड़ी जैसे उत्पादों पर पहले की तरह ही ऊंचा टैक्स और सेस लागू रहेगा। इनकी वैल्यूएशन अब ट्रांजैक्शन वैल्यू के बजाय रिटेल सेल प्राइस (RSP) से होगी।
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शक्कर या फ्लेवर वाले ड्रिंक्स और एरेटेड वॉटर पर टैक्स 28% से बढ़ाकर 40% कर दिया गया है।
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सिगरेट, प्रीमियम शराब और लग्ज़री कारों जैसी sin व लक्ज़री गुड्स पर टैक्स राहत नहीं मिलेगी।
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आयातित बख़्तरबंद लग्ज़री कारें सिर्फ़ खास मामलों (जैसे राष्ट्रपति सचिवालय) में टैक्स से छूट पायेंगी।



