भारत के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक HDFC बैंक के प्रबंध निदेशक साशीधर जगदीशन ने हाल ही में कुछ महत्वपूर्ण बातें साझा की हैं जो बैंकिंग सेक्टर के लिए काफी अहम हैं। HDFC बैंक इस समय एक “एडजस्टमेंट” यानी समायोजन की अवधि से गुजर रहा है, जो आने वाले समय में कर्ज वृद्धि (credit growth) को थोड़ा धीमा कर सकता है। लेकिन जगदीशन का मानना है कि यह एक अस्थायी दौर है और बैंक जल्द ही अपने पुराने तेज़ विकास के रास्ते पर लौटेगा। आइए, इस पूरी कहानी को सरल भाषा में समझते हैं।
HDFC बैंक का फोकस: जमा बनाम कर्ज
जगदीशन ने बताया कि बैंक का मुख्य ध्यान इस समय कर्ज-जमा अनुपात (credit-to-deposit ratio) को कम करने पर है। इसका मतलब यह है कि बैंक यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि जमा (deposit) की वृद्धि कर्ज (loan) की तुलना में अधिक हो। ऐसा करने का उद्देश्य यह है कि बैंक अपनी वित्तीय स्थिति को स्थिर और सुरक्षित रख सके, खासकर मौजूदा आर्थिक माहौल में।
क्यों हो रहा है ये समायोजन? 📉
HDFC बैंक वर्तमान में एक नए संगठन को बनाने और नए आर्थिक माहौल के साथ तालमेल बिठाने के प्रयास में है। इस समायोजन के दौरान, बैंक को कर्ज वृद्धि को थोड़ा धीमा करना पड़ सकता है, लेकिन यह केवल एक अस्थायी कदम है। बैंक की योजना है कि जैसे ही वह एक स्थिर स्तर पर पहुंचेगा, वह फिर से तेजी से विकास की ओर बढ़ेगा।
कर्ज-जमा अनुपात (CD Ratio) पर ध्यान 🏦
HDFC बैंक का कर्ज-जमा अनुपात वर्तमान में 104% पर है, जिसका मतलब है कि बैंक ने जितनी जमा राशि इकट्ठी की है, उससे अधिक कर्ज दे रखा है। बैंक का लक्ष्य इस अनुपात को कम करना है ताकि वित्तीय स्थिरता बनी रहे। रिजर्व बैंक और अन्य नियामक संस्थाएं भी इसी बात पर जोर दे रही हैं कि वित्तीय संस्थानों के पास पर्याप्त नकदी (liquidity) होनी चाहिए, ताकि वे आर्थिक बदलावों के दौरान स्थिर रह सकें।
जून तिमाही का प्रदर्शन 📊
जून तिमाही में HDFC बैंक की जमा वृद्धि कर्ज वृद्धि की तुलना में धीमी रही। जमा राशि में पिछले साल की तुलना में 24.4% की वृद्धि हुई, जो अब ₹22.83 लाख करोड़ हो गई है। वहीं, बैंक की कुल कर्ज बुक 52.6% बढ़कर ₹24.8 लाख करोड़ हो गई है।