सरकार फुल बजट 2024 में टैक्सपेयर्स को राहत देने की योजना बना रही है। इंडिया इंक ने इस बजट को लेकर सरकार को कई सुझाव दिए हैं, जिनमें मिडिल क्लास को टैक्स में राहत देने का सुझाव प्रमुख है। प्रमुख उद्योग चैंबर सीआईआई के प्रेसिडेंट संजीव पुरी का मानना है कि सालाना 20 लाख रुपये तक की इनकम वाले लोगों को टैक्स में राहत मिलनी चाहिए। इसके साथ ही, उन्होंने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज टैक्स घटाने की भी मांग की है। रेवेन्यू सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा के साथ मीटिंग में पुरी ने अपनी मांगों के बारे में बताया।
अंतरिम बजट में टैक्स में राहत नहीं
इस साल 1 फरवरी को पेश किए गए अंतरिम बजट में सरकार ने इनकम टैक्स में किसी तरह की राहत नहीं दी थी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि इनकम टैक्स में राहत जैसे बड़े उपायों के ऐलान जुलाई में पेश होने वाले फुल बजट में किए जा सकते हैं।
मिडिल क्लास को टैक्स में राहत की दरकार
संजय पुरी का मानना है कि महंगाई के कारण मिडिल क्लास की स्थिति काफी खराब हो चुकी है। अगर टैक्स में राहत के साथ पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क घटाए जाते हैं, तो इससे करोड़ों लोगों को फायदा होगा। उन्होंने पीएम किसान सम्मान निधि का पैसा बढ़ाने की भी मांग की है।
किसान सम्मान निधि की रकम बढ़ाई जाए
वर्तमान में देश में 9 करोड़ से ज्यादा किसानों को इस स्कीम के तहत हर साल 6000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। संजय पुरी का मानना है कि सरकार को बजट में इस अमाउंट को बढ़ाकर 8,000 रुपये करना चाहिए। यह स्कीम 2019 में लागू हुई थी और तब से इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। किसानों के हाथ में ज्यादा पैसे आने से ग्रामीण इलाकों में कंजम्प्शन बढ़ाने में मदद मिलेगी।
40 लाख इनकम पर लगे 30 फीसदी टैक्स
प्रमुख उद्योग चैंबर PHDCCI की डायरेक्ट टैक्सेज कमेटी के चेयरमैन मुकुल बागला ने कहा कि मिडिल क्लास पर अभी 30 फीसदी के रेट से टैक्स लगता है, जिससे उनके हाथ में खर्च करने के लिए कम पैसे बचते हैं और उनकी सेविंग्स भी नहीं हो पाती। उन्होंने सुझाव दिया है कि 40 लाख रुपये से ज्यादा सालाना इनकम वाले लोगों पर 30 फीसदी टैक्स लगाया जाए।
कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों में बदलाव की जरूरत
उद्योग चैंबर FICCI ने कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों को आसान बनाने की मांग की है। वर्तमान में कैपिटल गेंस टैक्स के नियम अलग-अलग एसेट्स के लिए अलग-अलग हैं। टैक्स लगाने के लिए एसेट के होल्डिंग पीरियड में भी फर्क है। फिक्की का कहना है कि कैपिटल गेंस के लिए सरकार को एसेट्स को तीन वर्गों- इक्विटी इंस्ट्रूमेंट्स, डेट और अन्य एसेट में बांट देना चाहिए। इसके बाद लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स के रेट का निर्धारण होना चाहिए।