आयकर विभाग के नियमानुसार, भारत में किसी भी स्रोत से आय प्राप्त करने वाले नागरिकों को अपनी आय की वार्षिक रिपोर्ट दाखिल करनी होती है, जिसे इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग कहा जाता है। इसे ध्यान में रखना बेहद आवश्यक है कि आपकी सभी आय सही तरीके से घोषित की जाती है, चाहे वो सैलरी, निवेश से प्राप्त हुई आय या बिजनेस आय हो। यदि किसी भी तरह की आय का खुलासा नहीं किया जाता है, तो आयकर विभाग द्वारा आप पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।
ब्याज से कमाई
बैंक अकाउंट पर मिलने वाला ब्याज भी आपकी आय का हिस्सा माना जाता है और इसपर टैक्स लगता है। अपने बैंक खाते पर मिलने वाले ब्याज की जानकारी को आयकर रिटर्न में दर्ज करना बहुत महत्वपूर्ण है।
इक्विटी निवेश से कैपिटल गेन
इक्विटी म्यूचुअल फंड और शेयरों में निवेश से प्राप्त होने वाला रिटर्न भी आयकर विभाग को घोषित किया जाना चाहिए। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स की जानकारी को भी इनकम टैक्स रिटर्न में दर्ज करना बहुत महत्वपूर्ण है।
डिविडेंड इनकम
म्यूचुअल फंड और शेयरों पर मिलने वाले डिविडेंड भी टैक्स के अधीन आते हैं। डिविडेंड इनकम की जानकारी को भी आपको इनकम टैक्स रिटर्न में दर्ज करना होता है।
विदेशी संपत्ति
विदेशी संपत्ति या अनलिस्टेड शेयरों से होने वाली आय का खुलासा भी आयकर रिटर्न में किया जाना चाहिए।
HNWIs के लिए
अमीर करदाताओं के पास की संपत्ति और देनदारी सम्बन्धी जानकारी को भी इनकम टैक्स रिटर्न में दर्ज करना आवश्यक होता है।
आयकर रिटर्न फाइलिंग के प्रमुख पहलुओं का संक्षेप:
पहलू | विवरण |
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ब्याज से कमाई | बैंक खाते पर मिलने वाला ब्याज भी आयकर के दायरे में आता है। |
इक्विटी निवेश से कैपिटल गेन | इक्विटी में निवेश से प्राप्त होने वाला लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स ल## Income Tax Return Filing: इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना एक अनिवार्य प्रक्रिया |
इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरना एक अनिवार्य विधान है जिसे किसी भी आय कमाने वाले व्यक्ति को पालन करना होता है। यह आवश्यक है चाहे आपकी आय आपको किसी भी टैक्स स्लैब में रखती हो या नहीं। आयकर विभाग के नियमानुसार, सभी प्रकार की आय, चाहे वो सैलरीड प्रोफेशनल्स की हो या बिजनेसमैन की, को आईटीआर में डिस्क्लोज़ करना अत्यावश्यक है। इसका उल्लंघन करने पर, आयकर विभाग की ओर से आपके ऊपर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।