वित्त मंत्रालय ने अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस समेत 21 देशों से भारत की गैर-सूचीबद्ध स्टार्टअप फर्मों में किए जाने वाले विदेशी निवेश पर एंजेल कर नहीं लगाने की अधिसूचना जारी की है।
हालांकि इस सूची में सिंगापुर, नीदरलैंड्स और मॉरीशस जैसे देशों से आने वाला निवेश शामिल नहीं है। सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में कहा था कि उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) से मान्यता-प्राप्त स्टार्टअप कंपनियों को छोड़कर सभी गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में आने वाले निवेश पर एंजेल कर लगेगा। उसके बाद से ही स्टार्टअप एवं उद्यम पूंजी उद्योग कुछ खास देशों से आने वाले निवेश कर कर छूट देने की मांग कर रहा था।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने बुधवार को एक अधिसूचना जारी कर कहा कि कुछ श्रेणियों के निवेशक एंजेल कर प्रावधान के दायरे में नहीं आएंगे। इन श्रेणियों में सेबी के पास पंजीकृत पहले वर्ग के विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक, एंडॉवमेंट फंड, पेंशन कोष और 21 देशों के निवासियों की भागीदारी वाला निवेश शामिल है। यह अधिसूचना एक अप्रैल, 2023 से ही प्रभावी हो गई है।
ये देश हैं टैक्स फ्री
कर छूट के दायरे में शामिल किए गए देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी एवं स्पेन के अलावा कनाडा, ऑस्ट्रिया, चेक गणराज्य, बेल्जियम, डेनमार्क, फिनलैंड, इजरायल, इटली, आइसलैंड, जापान, कोरिया, रूस, नॉर्वे, न्यूजीलैंड एवं स्वीडन शामिल हैं। नांगिया एंडरसन इंडिया के चेयरमैन राकेश नांगिया ने कहा कि कर छूट वाले देशों का स्पष्ट उल्लेख करते हुए सरकार ने मजबूत नियामकीय ढांचे वाले देशों से अधिक निवेश जुटाने की मंशा जता दी है।
इन देशों के निवेश पर टैक्स
हालांकि नांगिया ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि सिंगापुर, मॉरीशस एवं नीदरलैंड्स जैसे देश, जहां से बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश भारत आता है, इस सूची में शामिल नहीं हैं। सीबीडीटी गैर-सूचीबद्ध स्टार्टअप में किए गए विदेशी निवेश की गणना के लिए मूल्यांकन संबंधी दिशानिर्देश जारी कर सकता है। मौजूदा मानकों के तहत कठोर स्वामित्व नियंत्रण वाली कंपनियों में सिर्फ घरेलू निवेशकों के निवेश पर ही एंजेल कर लगाने की व्यवस्था है।