श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया ने खुद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट के माध्यम से इस फैसले की जानकारी साझा की और प्रेस रिलीज भी जारी की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में EPF सदस्यों के लिए जीवन को आसान बनाने और नियोक्ताओं के लिए कारोबार सुगम बनाने की दिशा में लगातार काम किया जा रहा है।
बैठक में लिए गए प्रमुख फैसले:
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सरल नियम और आंशिक निकासी: पुराने 13 कठिन नियमों को समाप्त कर अब केवल तीन कैटेगरी में आंशिक निकासी की अनुमति दी गई है। इसमें बीमारी, शिक्षा, शादी, हाउसिंग और विशेष परिस्थितियों से जुड़े खर्च शामिल हैं। अब सदस्य अपने PF खाते में उपलब्ध पूरी राशि निकाल सकते हैं।
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शादी और शिक्षा के लिए निकासी: पहले शिक्षा और शादी के लिए केवल 3 बार निकासी की अनुमति थी, लेकिन अब शिक्षा के लिए 10 बार और शादी के लिए 5 बार निकासी की जा सकती है।
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न्यूनतम सेवा अवधि में बदलाव: मिनिमम सर्विस पीरियड को घटाकर 12 महीने कर दिया गया है। पहले यह अवधि अलग-अलग जरूरतों के लिए अलग थी।

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विशेष परिस्थितियों में आसानी: प्राकृतिक आपदा, बेरोजगारी या महामारी जैसी परिस्थितियों में अब कारण बताए बिना ही निकासी की सुविधा मिलेगी।
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मिनिमम बैलेंस की सीमा: सदस्यों के खाते में हमेशा 25% राशि मिनिमम बैलेंस के तौर पर रहेगी। इससे उन्हें 8.25% ब्याज और कंपाउंड इंटरेस्ट का लाभ मिलता रहेगा, जो रिटायरमेंट के लिए अच्छा फंड तैयार करेगा।
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ऑटो सेटलमेंट सिस्टम: नए नियमों के तहत दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं होगी। निकासी पूरी तरह ऑटोमैटिक होगी, जिससे क्लेम्स का निपटारा तेज़ होगा। फाइनल सेटलमेंट की अवधि को 2 महीने से बढ़ाकर 12 महीने और पेंशन निकासी की अवधि को 2 महीने से 36 महीने कर दिया गया है।
इस बदलाव के बाद नौकरीपेशा लोगों की जिंदगी में सीधा फायदा यह होगा कि उन्हें अपने रखे फंड को समय पर और बिना किसी झंझट के प्राप्त करने में आसानी होगी। यह फैसले आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के परिवारों के लिए विशेष राहत लाएंगे, क्योंकि अचानक आई ज़रूरत में अब महज कुछ क्लिक से पैसा निकालना मुमकिन होगा। इससे युवा कर्मचारियों को शादी, शिक्षा और मकान जैसी बड़ी योजनाओं को पूरा करने के लिए आर्थिक सहायता मिलेगी।



