जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस हमले में 26 आम नागरिकों की मौत हुई, और इसके पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों का हाथ बताया जा रहा है।
भारतीय सेना को मिली पूरी छूट
बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारतीय सेना को पूरी “ऑपरेशनल फ्रीडम” दी गई है — यानी सेना खुद तय करेगी कि कब, कैसे और किस तरीके से बदला लिया जाए। पीएम मोदी ने साफ कहा, “आतंकवाद को कुचलना हमारा राष्ट्रीय संकल्प है।”

कौन-कौन रहा बैठक में मौजूद?
इस अहम बैठक में देश के बड़े सुरक्षा अधिकारी शामिल हुए:
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल
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चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान
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थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी
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नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी
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वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह
पाकिस्तान को कड़ा संदेश
प्रधानमंत्री ने आतंकियों और उनके “सरपरस्तों” (यानि पाकिस्तान) को चेतावनी देते हुए कहा कि उन्हें धरती के किसी भी कोने में ढूंढकर सजा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि जो सजा दी जाएगी, वो उनकी कल्पना से परे होगी।
पहले भी भारत ने लिया है सख्त एक्शन
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2016: उरी हमले के बाद भारत ने LoC पार सर्जिकल स्ट्राइक की थी।
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2019: पुलवामा हमले में 40 CRPF जवान शहीद हुए, जिसके बाद भारत ने बालाकोट एयर स्ट्राइक किया था।
इस बार भी देश में एक कड़े जवाब की उम्मीद की जा रही है।
राजनीतिक और कूटनीतिक फैसले भी लिए गए
हमले के तुरंत बाद कैबिनेट सुरक्षा समिति (CCS) की बैठक हुई जिसमें कई कदम उठाए गए:
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पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया गया।
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दुनिया को पाकिस्तान की भूमिका दिखाने के लिए राजनयिक दबाव बनाया जाएगा।
सरकारी अधिकारियों ने बताया कि यह हमला जम्मू-कश्मीर में हो रही शांति और विकास को बाधित करने के लिए किया गया।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
भारत के कदमों के जवाब में पाकिस्तान ने शिमला समझौता सस्पेंड कर दिया है और अपनी हवाई सीमा में भारत के विमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ सकता है।




