रेस्टोरेंट में जब आप खाना खाते हैं तो बिल में एक एक्स्ट्रा चार्ज जुड़ा होता है जिसे “सर्विस चार्ज” कहते हैं। ये कोई टैक्स नहीं होता और इसे देना पूरी तरह ग्राहक की मर्जी पर होता है। लेकिन कई बार रेस्टोरेंट ये चार्ज बिना पूछे बिल में जोड़ देते हैं और ग्राहक को लगता है कि ये देना ज़रूरी है, जबकि ऐसा नहीं है।
दिल्ली के 5 रेस्टोरेंट पर कार्रवाई क्यों हुई?
दिल्ली के पांच फेमस रेस्टोरेंट — Makhna Deli, Xero Courtyard, Castle Barbeque, Chaayos और Fiesta by Barbeque Nation — ने बिना ग्राहकों की अनुमति के सर्विस चार्ज लिया और जब ग्राहक ने पैसे वापस मांगे, तो मना कर दिया। यह सीधा-सीधा उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन है। इस पर केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सभी रेस्टोरेंट्स को नोटिस भेज दिया है कि वे अपने ग्राहकों को सर्विस चार्ज का पैसा लौटाएं।

सरकार ने क्यों लिया एक्शन?
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार, नेशनल कंज़्यूमर हेल्पलाइन (1915) पर बहुत सारी शिकायतें मिलीं कि कुछ रेस्टोरेंट ज़बरन सर्विस चार्ज ले रहे हैं। जबकि दिल्ली हाई कोर्ट ने 28 मार्च 2025 को यह साफ़ कर दिया था कि सर्विस चार्ज लेना ग्राहक की मर्जी पर निर्भर करता है, न कि रेस्टोरेंट की। इसके बाद भी जब इन रेस्टोरेंट्स ने नियम नहीं माने, तो सरकार को नोटिस भेजना पड़ा।
CCPA की गाइडलाइन्स क्या कहती हैं?
4 जुलाई 2022 को जारी किए गए CCPA के दिशा-निर्देशों के अनुसार:
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रेस्टोरेंट बिल में सर्विस चार्ज को अपने आप नहीं जोड़ा जा सकता।
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सर्विस चार्ज को किसी और नाम से भी नहीं जोड़ा जा सकता।
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ग्राहक को साफ़-साफ़ बताया जाना चाहिए कि सर्विस चार्ज वैकल्पिक (Optional) है।
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कोई भी रेस्टोरेंट सेवा देने से इनकार नहीं कर सकता अगर ग्राहक सर्विस चार्ज न देना चाहे।
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GST केवल खाने के बिल पर लगना चाहिए, सर्विस चार्ज पर नहीं।
आम ग्राहक को क्या करना चाहिए?
अगर आप किसी रेस्टोरेंट में खाना खाते हैं और बिल में सर्विस चार्ज जुड़ा दिखे, तो आप साफ़ कह सकते हैं कि आप ये नहीं देंगे। रेस्टोरेंट को इसे हटा देना होगा। अगर वो मना करते हैं, तो आप इसकी शिकायत 1915 (कंज़्यूमर हेल्पलाइन) पर कॉल करके कर सकते हैं या फिर consumerhelpline.gov.in पर ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज कर सकते हैं।




