भारत में अधिकांश मीडिया चैनल को उठाकर देख ले तो चाहे माहौल कुछ भी हो उसमें दो धर्मों के बीच का एंगल ढूंढ कर हमेशा से चलाना जारी रहा है. वह चाहे दिल्ली का दंगा क्यों ना हो या किसी बददिमाग के द्वारा महाराष्ट्र में की गई मारपीट की घटना.
पूरी दुनिया covid-19 वायरस से लड़ रही है भारत भी इससे अछूता नहीं है, पूरी दुनिया के मीडिया चैनलों में वायरस के वैक्सीन, रिपोर्ट, प्रतिदिन की बढ़त और स्थिति, जैसे अन्य चीज मीडिया में प्रमुखता से प्रसारित किए गए. अपने नागरिकों को वापस लाने के प्रयत्न और प्रवासियों के लिए अस्पताल की सुविधा स्वास्थ्य की व्यवस्था जैसे अन्य मुद्दे ज्यादातर देश के प्रमुख एजेंडे रहे.
यही कि अगर हम भारत के प्रमुख टीवी चैनल की उठाएं तो हम पाएंगे की कोरोना वायरस पर प्रमुखता से जरूरी मुद्दों के जगह हिंदू मुस्लिम सांप्रदायिक एंगल चलाया गया. इसकी रोकथाम बेहतर सुविधाएं, मजदूरों की वास्तविक स्थिति, गिरती अर्थव्यवस्था, जैसे प्रमुख मुद्दों को मुख्य रूप से मीडिया ने एजेंडा नहीं बनने दिया.
और गौर से देखें तो आप पाएंगे मुख्य टीवी चैनल और मीडिया घराना भारत में कोरोनावायरस वरियर के नाम लेकर चिल्ला चिल्ला कर टीवी शो तो किए लेकिन उनकी स्वयं की भूमिका सामाजिक विलेन के रूप में रही.
दिल्ली में मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा प्लाज्मा थेरेपी ने एक नया हिम्मत दिया है और इस वक्त हिंदू का रक्त किसी मुस्लिम का जान बचाएगा तो वहीं किसी मुस्लिम का रक्त किसी हिंदू का जान बचाएगा. यह वक्त दुर्भावना से दूर रहने का है और यह समझने की जरूरत है कि सबका रक्त लाल है और मजहब से पहले हम सब एक इंसान हैं.
भारत में पिछले कुछ दिनों से मीडिया घरानों और मीडिया चैनलों पर जमाती देशद्रोही जमाती आतंकवादी जैसे शो चल रहे थे, अभी का ट्रेंड जो ट्विटर पर पिछले कुछ घंटों में तेजी से ऊपर उठा है वह है जमाती ऊपर गर्व है. तबलिग़ी जमाती ने अपना प्लाज्मा डोनेट करने के लिए देश के सामने इच्छा रखी है और कहा है कि संकट की घड़ी में देश के साथ खड़ा रहना उनकी प्रथम प्राथमिकता है.
समझने की बात यह है कि जो मीडिया चैनलों के जरिए दिखाया गया केवल एक भाग भी हो सकता है, एक झूठा प्रोपेगेंडा भी हो सकता है, लेकिन इससे देश में इस तरीके का माहौल बना जो कोरोना के संक्रमण से भी ज्यादा खतरनाक हुआ जिस पर रोक लगाने की सख्त जरूरत है.
और ईसका सबसे बड़ा उदाहरण यह मिला कि अरब देशों में प्रोपेगेंडा फैल गया कि भारत में इस्लामोफोबिया है और कई प्रकार के दिक्कतों का सामना भारतीय प्रवासियों को करना पड़ा, मामले ने इतना तूल पकड़ लिया कि खुद देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी को अरब मुस्लिम मुल्कों से बात करना पड़ा जिसकी पुष्टि सरकारी सूत्रों ने की. यह किसी भी देशवासी के लिए शर्मनाक वाकया है कि उसके प्रधानमंत्री को ऐसी नेगेटिव मानसिकता के ऊपर बात करने की जरूरत पड़ी है जिसका पूरा श्रेय इस तरीके से पहले गलत मीडिया कंटेंट को जाता है.
ऐसे घड़ी में आपका और हमारा फर्ज बनता है कि अगर कोई भी ऐसे कंटेंट आपको देखने को मिलते हैं वह चाहे आपके समुदाय को पॉजिटिव दिखा कर किसी दूसरे समुदाय के बारे में नेगेटिव क्यों ना कह रहा हो उसे सिरे से दरकिनार करने की ज़रूरत हैं, क्योंकि यह एक प्रोपेगेंडा का हिस्सा हो सकता है और फिर यही चीजें आगे भी बढ़ती रहेंगी.
ऐसे टीवी चैनलों को ना कहें ऐसे कंटेंट डालने वाले लोगों से दूरी बनाए सोशल मीडिया इंटरनेट प्लेटफार्म पर हैं तो उन्हें फॉलो लिस्ट से हटाए. हो सकता है अगले कुछ दिनों या कुछ महीनों में कोरोना का संक्रमण चला जाए लेकिन दिमाग में यह संक्रमण घुस गया तो इसकी ना ही कोई वैक्सीन बन पाएगी और ना ही इसका इलाज हो पाएगा और इसका नतीजा केवल सोशल डिस्टरबेंस होगा.
भारत से जय हिंद
Report: Lov Kumar SinghGulfHindi.com
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