भारत सहित कई देशों में करेंसी के तौर पर रुपया का किया जाता है इस्तेमाल
यह बात तो आप जानते होंगे कि भारत सहित कई देशों जैसे कि श्रीलंका, नेपाल, पाकिस्तान, इंडोनेशिया और मालदीव आदि देशों में करेंसी के तौर पर रुपया का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि कई अरब देशों में भी पहले रुपया का इस्तेमाल किया जाता था।
कई अरब देशों में होता था रुपए का इस्तेमाल
आज जहां कामगार अपने परिवार को पालने और रोजी-रोटी चलाने के लिए कई सालों तक दूर काम करते हैं वहां भी पहले रुपए का इस्तेमाल किया जाता था। कुवैत, ओमान, क़तर, Bahrain और यहां तक कि संयुक्त अरब अमीरात में भी रुपया का ही इस्तेमाल किया जाता था।
कितना अंतर था भारतीय रुपए और गल्फ रुपए में?
भारतीय रुपए और गल्फ रुपए में कोई खास अंतर नहीं था और वह एक समान ही थे। दोनों ही रुपए भारत में ही प्रिंट किए जाते थे। दोनों में ही डिजाइन एक जैसा था लेकिन कलर बिल्कुल अलग था। कलर के अलावा गल्फ रुपए में नंबर के पहले ‘Z’ लगाया जाता था। अलग कलर और सीरियल नंबर के आगे ‘Z’ होने के कारण गल्फ रुपए को पहचानना आसान था।
आखिर संयुक्त अरब अमीरात में क्यों किया जाता था करेंसी के तौर पर रुपए का इस्तेमाल?
बताते चलें कि पहले संयुक्त अरब अमीरात में करेंसी सिस्टम का इजाद नहीं हुआ था। यहां पर दिरहम के पहले कई तरह की करेंसी का इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन ब्रिटिश से गठबंधन के दौरान अमीरात में उन करेंसी के इस्तेमाल का चलन शुरू हुआ, जो करेंसी पड़ोस के बड़े देशों में उपयोग की जा रही थी।
यही कारण है कि अरब के ज्यादातर हिस्सों में भारत की करेंसी यानी कि रुपया का इस्तेमाल किया गया। उस वक्त 20 से भी अधिक देशों में रुपया का इस्तेमाल किया जाता था।
आखिर क्यों संयुक्त अरब अमीरात में रुपए का इस्तेमाल हुआ बंद?
करीब 1957 तक यूएई में रुपए का ही इस्तेमाल किया जाता था लेकिन धीरे धीरे व्यापारियों के कारण एक समस्या आने लगी। समस्या की सोने की खरीद बिक्री और तस्करी की। आपको पता होगा कि अरब में सोने का दाम भारत के मुकाबले काफी सस्ता है। जिस कारण सोने की तस्करी तो बढ़ी ही और व्यापारी इसका खूब फायदा उठाने लगे।
इस समस्या को कम करने के लिए 1957 में भारत ने ‘External rupees’ या ‘Gulf rupees’ नामक स्पेशल नोट की छपाई शुरू कर दी जिसे यूएई में आसानी से इस्तेमाल किया जा सके और सोने की तस्करी को रोका जा सके।
यानी कि 1959 तक दुबई और Qatar में आधिकारिक तौर पर करेंसी के रूप में भारतीय रुपया का ही इस्तेमाल किया जाता था। Oman में भी Gulf rupee का इस्तेमाल 1970 तक किया गया।
1966 से गल्फ रुपया को लीगल टेंडर से हटा दिया गया
अरब में 1957 से लेकर 1966 गल्फ रुपए का ही इस्तेमाल किया जाता था लेकिन 1966 से गल्फ रुपए को लीगल टेंडर से हटा दिया गया जिसके बाद अब कोई अरब में भारतीय रुपया से खरीद बिक्री नहीं कर सकता और Gulf rupees का भी भारत में इस्तेमाल नहीं कर सकता था। तब व्यापारियों को अरब में खरीद बिक्री के लिए भारतीय रुपया को मुंबई में बदलना पड़ता था।
करीब सभी अरब देश भारत में प्रिंटेड गल्फ करेंसी का इस्तेमाल करते थे। केवल सऊदी अरब ही गल्फ रुपए का इस्तेमाल नहीं करता था। अरब देशों में तेल की खोज के बाद वहां के करेंसी की वैल्यू में धीरे धीरे बढ़ोतरी होती गई।