हाल ही में भारतीय रेलवे ने चेन्नई के इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में पहली हाइड्रोजन से चलने वाली कोच का सफल परीक्षण किया है। यह भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। दुनिया के कुछ ही देशों ने इस तरह की ट्रेनें बनाई हैं और ज्यादातर अब भी टेस्टिंग स्टेज में ही हैं।
रेलवे का यह प्रोजेक्ट इसलिए भी अहम है क्योंकि यह देश के पर्यावरण को साफ करने और ऊर्जा के लिए साफ-सुथरे स्रोतों (जैसे हाइड्रोजन) को बढ़ावा देने की कोशिश का हिस्सा है। हाइड्रोजन डीजल जैसे ईंधन से कहीं ज्यादा साफ होता है और इससे प्रदूषण भी कम होता है। अभी प्रोजेक्ट अपने आखिरी चरण में है, जहां ट्रेन के अलग-अलग हिस्सों की जांच और टेस्टिंग की जा रही है ताकि उसे यात्रियों के लिए चलाया जा सके।
यह प्रोजेक्ट नॉर्दर्न रेलवे ज़ोन के तहत शुरू हुआ था और 2020-21 में इसकी शुरुआत हुई थी। इसमें दो बड़े काम शामिल हैं:
-
दो डीजल इंजनों को हाइड्रोजन से चलने वाले इंजन में बदलना
-
हरियाणा के जिंद में हाइड्रोजन स्टोर और भरने की सुविधा बनाना
इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत लगभग ₹136 करोड़ है। इसका डिज़ाइन, टेस्टिंग और सुरक्षा की जांच रेलवे का RDSO विभाग कर रहा है।
रेलवे मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि यह ट्रेन कुल 10 डिब्बों की होगी और इसमें दो पावर इंजन होंगे। एक बार में यह ट्रेन 2,600 से ज्यादा यात्रियों को ले जा सकेगी। यह ट्रेन हरियाणा के जिंद और सोनीपत के बीच चलाई जाएगी और हर दिन दो बार 356 किमी की दूरी तय करेगी। इसके लिए जिंद में 3,000 किलो हाइड्रोजन स्टोर करने की व्यवस्था भी बनाई जा रही है।
अब सवाल आता है, यह ट्रेन कैसे चलेगी?
हाइड्रोजन एक बहुत हल्की और आग पकड़ने वाली गैस है, इसलिए इसे बहुत सावधानी से संभालना होता है। हर इंजन में लगभग 220 किलो हाइड्रोजन भरने के लिए खास सिलेंडर लगाए गए हैं। इनके लिए कई बार टेस्ट किए जा चुके हैं ताकि कोई रिसाव या हादसा न हो।
ट्रेन में खास सेफ्टी फीचर्स होंगे जैसे –
-
प्रेशर रिलीज वाल्व
-
गैस लीक और आग पकड़ने की सेंसर
-
तापमान जांचने वाले सिस्टम
-
और अच्छी वेंटिलेशन (हवा आने-जाने) की व्यवस्था
इसकी सुरक्षा जांच जर्मनी की एक स्वतंत्र एजेंसी TUV-SUD कर रही है। ट्रेन का पूरा डिज़ाइन और तैयार करना चेन्नई की फैक्ट्री में हुआ है और इसमें हैदराबाद की Medha Servo Drives कंपनी मदद कर रही है।
हाइड्रोजन भरने की सुविधा जिंद में बनी है और इसमें दो हिस्सों में गैस रखी जाएगी –
-
2320 किलो कम दबाव वाली
-
680 किलो ज्यादा दबाव वाली
यह पूरी जगह पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) के नियमों के हिसाब से बनेगी। इसके साथ-साथ रेलवे बिजली, सड़क, पानी और फायर सेफ्टी जैसे इंतजाम भी कर रहा है ताकि सुविधा सही से काम करे।




