आप सबने बचपन में राजा मिदास की स्टोरी तो सुनी होगी, जिनके छूने से कुछ भी सोना बन जाता था. ऐसी ही कुछ कहानी उत्तरी तंजानिया की नेट्रॉन झील की है.
फर्क सिर्फ इतना है कि राजा मिदास के छूने से सबकुछ सोना बन जाता था, वहीं इस झील के पानी को छूते ही सबकुछ पत्थर बन जाता है. नॉर्थ तंजानिया में लोगों की दहशत का कारण बनी नेट्रॉन झील के बारे में कहा जाता है कि यह श्रापित है. कोई भी जंतु इसका पानी नहीं पी सकता, बल्कि पानी को हाथ लगाते ही वह पत्थर का हो जाता है.
झील के आस-पास जानवरों और पक्षियों की पत्थर की मूर्तियां पाई जाती हैं. यहां तक कि इन जंतुओं के पंख और बाल तक पत्थर के बन गए हैं. वैज्ञानिकों ने इसका रहस्य जानने की कोशिश की, लेकिन खास जानकारी नहीं मिली. तो क्या सच में इस झील में कुछ चमत्कारिक है जो सबकुछ पत्थर का बना देती है? दरअसल यह किसी श्राप के कारण नहीं, बल्कि झील के रासायनिक पानी के चलते हैं. इस झील में जाने वाले पशु-पक्षी कैल्सिफाइड होकर पत्थर बन जाते हैं.
दरअसल नेट्रॉन एक अल्कलाइन झील है, जहां के पानी में सोडियम कार्बोनेट की मात्रा बहुत ज्यादा है. वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर Nick Brandt ने अपनी एक किताब ‘एक्रॉस द रेवेज्ड लैंड’ में इसका खुलासा किया है कि नेट्रॉन झील के पानी में नमक और सोडा की मात्रा जरूरत से कई गुना ज्यादा है. यहां पानी में अल्कलाइन एलिमेंट की क्वांटिटी अमोनिया जितनी है.
लेक का टेम्परेचर भी अक्सर 60 डिग्री से ऊपर पहुंच जाता है. पानी में एक ऐसा एलिमेंट भी पाया गया जो ज्वालामुखी की राख में होता है. यही कारण है कि इस झील में ज्यादा टाइम बिताने वाले जानवर रासायनिक मौत का शिकार होते हैं. हालांकि फोटोग्राफर इस रहस्य को नहीं सुलझा पाए कि आखिर झील के आस-पास इतने पक्षियों की मौत कैसे हुई. ऐसे में नेट्रॉन झील का रहस्य लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.