कुवैत में 33 वर्षों से चल रही एक हैरान कर देने वाली पहचान और नागरिकता धोखाधड़ी का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें एक श्रीलंकाई महिला ने नकली गर्भावस्था, फर्जी दस्तावेज़ और झूठे रिश्तों के जरिए कुवैती नागरिकता प्राप्त की थी। इस धोखाधड़ी में उसकी कथित बेटी की नागरिकता भी रद्द कर दी गई है, जब डीएनए टेस्ट से साबित हो गया कि उसका कोई जैविक संबंध मां या कथित पिता से नहीं था।
घरेलू कामगार से नागरिक बनने तक की धोखाधड़ी
कोस्टा नाम की महिला साल 1992 में घरेलू कामगार वीजा पर कुवैत पहुंची थी। 1994 में फरारी का मामला दर्ज होने पर उसे देश से निकाला गया। 1996 में वह नए नाम और पासपोर्ट के जरिए फिर से कुवैत में घुस गई। उस समय बायोमेट्रिक सिस्टम न होने के कारण कोई पहचान नहीं कर सका।
कुवैती टैक्सी ड्राइवर से शादी और फर्जी मातृत्व
कोस्टा ने एक कुवैती टैक्सी ड्राइवर से शादी की। कुवैती नागरिकता कानून (Article 8) के अनुसार, अगर कोई विदेशी महिला कुवैती पुरुष से शादी करती है और उनका बच्चा होता है, तो महिला नागरिकता के लिए पात्र होती है। कोस्टा ने यह कानून अपने हक में इस्तेमाल करने के लिए नकली गर्भावस्था का नाटक किया।
कोस्टा ने एक वास्तविक गर्भवती श्रीलंकाई महिला से समझौता किया, जिसने कोस्टा की पहचान से अस्पताल में बच्ची को जन्म दिया। उस बच्ची को कोस्टा और उसके पति की संतान के रूप में रजिस्टर किया गया। जबकि वह जैविक रूप से दोनों से असंबंधित थी। 2000 में कोस्टा ने नागरिकता के लिए आवेदन किया और स्वीकृत हो गई।
2008 में तलाक और सच का खुलासा
वैवाहिक तनाव के बाद कोस्टा ने 2008 में पति से तलाक ले लिया और खुलासा किया कि बच्ची उसकी नहीं है। पति ने उस समय जानकारी अधिकारियों को दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। 2021 में पति ने औपचारिक शिकायत दर्ज की, जिससे क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट ने जांच शुरू की। डीएनए टेस्ट से साफ हुआ कि बच्ची का कोस्टा या उसके पति से कोई जैविक संबंध नहीं है।
2024 में नागरिकता हुई रद्द
2024 में नागरिकता मामलों की सर्वोच्च समिति ने फैसला दिया कि कोस्टा ने धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज़ और पहचान बदलने के जरिए नागरिकता प्राप्त की थी। उसकी नागरिकता रद्द कर दी गई, साथ ही उसकी बेटी की नागरिकता भी खत्म कर दी गई, जो अब वयस्क हो चुकी है। बच्ची की जैविक मां की पहचान एक श्रीलंकाई महिला के रूप में हुई, जो जन्म के समय कुवैत में थी और बाद में वापस भेज दी गई थी। अब उस महिला को श्रीलंकाई दस्तावेज़ जारी किए जा रहे हैं।
क्या सामने आया इस केस से?
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कुवैत की नागरिकता प्रणाली में बायोमेट्रिक और पहचान जांच की बड़ी कमी सामने आई।
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Article 8 के तहत मिलने वाली नागरिकता के दुरुपयोग का सबसे चौंकाने वाला मामला माना जा रहा है।
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इससे पहले कुवैत सरकार ने हजारों फर्जी नागरिकताओं को रद्द किया है, और यह मामला उनमें से सबसे पेचीदा और बड़ा माना जा रहा है।




