कुवैत ने गाजा में जरूरतमंदों के लिए तीन दिन का डोनेशन (दान) अभियान शुरू कर दिया है। इसके बाद एक “एयर ब्रिज” (हवाई राहत सेवा) शुरू की जाएगी, जिसके ज़रिए ज़रूरी मानवीय सहायता गाज़ा भेजी जाएगी। यह जानकारी कुवैत के असिस्टेंट फॉरेन मिनिस्टर फॉर डेवलपमेंट एंड इंटरनेशनल कोऑपरेशन, हमाद सुलेमान अल-मशान ने दी।
उन्होंने बताया कि कुवैत की विभिन्न चैरिटी संस्थाएं इस अभियान के लिए फंड (पैसे) जुटा रही है। यह सारा पैसा राहत सामग्री खरीदने में इस्तेमाल होगा, जिसे Kuwait Flour Mills Company से खरीदा जाएगा यह एक भरोसेमंद स्थानीय कंपनी है जो तुरंत ज़रूरत की चीज़ें मुहैया करवा सकती है।
जब डोनेशन इकट्ठा हो जाएंगे, तब कुवैत डिफेंस मिनिस्ट्री और एयर फोर्स इस राहत सामग्री को एक सैन्य विमान (military aircraft) से गाज़ा भेजेगी। सप्लाई दो रास्तों से भेजी जाएगी मिस्र के अल-अरीश शहर के ज़रिए, जहां इसे Egyptian Red Crescent को सौंपा जाएगा और जॉर्डन के रास्ते, जिससे गाज़ा तक राहत पहुंचेगी।
चैरिटी सिस्टम और नया क़ानून
अल-मशान ने बताया कि कुवैत एक नया कानून लाने की तैयारी में है जो पूरे चैरिटी (दान) सिस्टम को एकजुट करेगा और उस पर बेहतर निगरानी रखेगा। इसके लिए एक सरकारी केंद्र (government center) बनाया जाएगा, जो सभी चैरिटी गतिविधियों की निगरानी करेगा।
यह नया केंद्र क्या करेगा:
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सभी चैरिटी संगठनों को रजिस्टर करेगा,
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राहत अभियानों की योजना बनाएगा,
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अंतरराष्ट्रीय डोनेशन पर नज़र रखेगा,
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ज़रूरी अनुमति पत्र जारी करेगा।
यह कानून फर्स्ट डिप्टी प्राइम मिनिस्टर और इंटीरियर मिनिस्टर शेख फहद अल-यूसुफ अल-सबह की अध्यक्षता में बनी कमिटी ने तैयार किया है। अब यह क़ानूनी समीक्षा के लिए भेजा गया है और उम्मीद है कि 2–3 हफ्तों में इसे मंजूरी मिल जाएगी। हालांकि, इस सिस्टम को ज़मीन पर लागू करने में थोड़ा और समय लगेगा।
कुवैत की प्राथमिकतायें
अल-मशान ने साफ कहा कि कुवैत सबसे पहले अपने देश के ज़रूरतमंदों की मदद करेगा, फिर अंतरराष्ट्रीय ज़रूरतों को देखेगा। विदेश मंत्रालय इस पूरे सिस्टम में मुख्य भूमिका निभा रहा है, खासतौर पर अंतरराष्ट्रीय चैरिटी प्रोजेक्ट्स की निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में।




