भारत सरकार ने 2025 के लिए लैपटॉप और टैबलेट आयात नीति को लेकर बड़ा कदम उठाया है। पूरे वर्ष के लिए आयात की मंजूरी दी गई है, लेकिन इसके साथ ही मध्य वर्ष में समीक्षा का विकल्प रखा गया है। यह निर्णय स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से लिया गया है। इस नई नीति का असर न केवल उद्योग पर पड़ेगा, बल्कि आम लोगों पर भी कई तरह के प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।
क्या है सरकार की नई आयात नीति?
- 2025 में लैपटॉप और टैबलेट के आयात की मंजूरी पूरे वर्ष के लिए दी गई है।
- मध्य वर्ष समीक्षा की जाएगी, जिससे बाजार में उत्पादों की कमी को रोका जा सके।
- आयात में हर साल 5% की कमी की योजना है, जिसे स्थानीय उत्पादन से पूरा किया जाएगा।
- यह योजना 2025 की दूसरी छमाही से औपचारिक रूप से लागू होने की उम्मीद है।
- सरकार ने ब्रांड-वार मांग और आपूर्ति की समीक्षा के लिए आधार वर्ष तय करने पर सहमति जताई है।
आम लोगों पर क्या असर पड़ेगा?
1. प्रोडक्ट की उपलब्धता:
- शुरुआती समय में कमी: आयात पर नियंत्रण और स्थानीय उत्पादन में समय लगने के कारण बाजार में लैपटॉप और टैबलेट की उपलब्धता पर असर पड़ सकता है।
- स्थायी समाधान: स्थानीय उत्पादन के बढ़ने से उत्पादों की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
2. कीमतों में बदलाव:
- प्रारंभिक मूल्य वृद्धि: आयात में कमी और स्थानीय उत्पादन के सेटअप के दौरान उपभोक्ताओं को शुरू में उच्च कीमतों का सामना करना पड़ सकता है।
- लंबी अवधि में सस्ते प्रोडक्ट्स: जब स्थानीय उत्पादन तेज होगा, तो प्रतियोगिता बढ़ने से कीमतें कम हो सकती हैं।
3. रोजगार के अवसर:
- स्थानीय निर्माण के कारण देश में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। इससे आम आदमी के लिए आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
4. सुरक्षा और गुणवत्ता:
- वर्तमान में 70% लैपटॉप और टैबलेट चीन और हांगकांग से आयात होते हैं।
- स्थानीय उत्पादन के कारण उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण और सुरक्षित उत्पाद मिलेंगे।
सरकार का ‘मेक इन इंडिया’ अभियान और PLI योजना का योगदान
सरकार का यह कदम ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत देश में उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।
- PLI योजना:
- उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं के तहत कंपनियों को स्थानीय निर्माण करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
- जो कंपनियां PLI के लिए आवेदन कर चुकी हैं, उन्हें देश में निर्माण शुरू करने का निर्देश दिया गया है।
- आयात पर निर्भरता कम करना:
- भारत की आईटी हार्डवेयर बाजार वर्तमान में आयात पर निर्भर है।
- नई नीति से आयात में कमी आएगी और देश का विदेशी व्यापार घाटा भी कम होगा।
क्या होगा अगर मांग ज्यादा हुई?
यदि मांग स्वीकृत इन्वेंटरी से अधिक होती है, तो सरकार अतिरिक्त आयात की अनुमति दे सकती है। लेकिन अगर मांग नहीं बढ़ती, तो स्थानीय उत्पादन लक्ष्य घटाए जा सकते हैं। इससे उत्पादन और आपूर्ति के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी।
उद्योग विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन देगी। उपभोक्ताओं को भविष्य में प्रतिस्पर्धी कीमतों पर उत्पाद उपलब्ध होंगे. हालांकि, उद्योग जगत ने सरकार से स्पष्टता और एक विस्तृत अधिसूचना जारी करने की मांग की है।