बहुत जल्द ही आपका बिजली बिल दोबारा से बढ़ाया जा सकता है और साथ ही साथ अब यह बिल प्रति यूनिट ₹50 तक पहुंच सकता है क्योंकि इस पक्ष में सरकार ने नया फैसला MRP पर करते हुए जारी कर दिया है.
ईंधन खर्च और अन्य शुल्कों के रूप में अधिक लागत वाली बिजली उत्पादन कंपनियां (जेनकोस) जल्द ही उर्जा बाजार में महंगी बिजली बेच सकेंगी। ये कंपनियां प्रति यूनिट 50 रुपये तक कीमत ले सकेंगी।
केंद्रीय बिजली विनियामक आयोग (सीईआरसी) तीन श्रेणी के जेनकोस को मानदंडों में छूट देगा। इनमें महंगे प्राकृतिक गैस (आरएलएनजी), आयातित कोयले और बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएसएस) का इस्तेमाल करके संयंत्र चलाने वाले जेनकोस शामिल हैं।
इस समय ऊर्जा बाजार में अगले दिन की खरीद (डीएएम) में 12 रुपये प्रति यूनिट की कीमत सीमा है। इस सीमा के चलते अधिक लागत वाले जेनकोस आमतौर पर ऊर्जा एक्सचेंजों पर बिजली बेचने के इच्छुक नहीं होते हैं। इसके चलते उनकी बिजली उत्पादन क्षमता रुक जाती है।
सीईआरसी ने आगामी गर्मी के मौसम में आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ऊर्जा एक्सचेंजों पर एक नया खंड – ‘उच्च कीमत पर अगले दिन की खरीद’ शुरू करने की अनुमति दी है। इस खंड में 50 रुपये प्रति यूनिट तक की अधिकतम कीमत पर बिजली बेची और खरीदी जा सकती है।
तो अब इसके वजह से आपको सप्लाई दे रही बिजली कंपनी आसानी से अपने महंगे लागत का दावा करते हुए बिजली बिल को महंगा कर सकती हैं और यह ठीक वैसे ही होगा जैसे पेट्रोल और डीजल के दाम रोज प्रतिदिन के दाम के जैसे उतार-चढ़ाव वाले नतीजों में बदल दिए गए थे.
देना होगा 15000 रूपये प्रति महीने तक
औसतन हर घर में खर्च होने वाले बिजली यूनिट ₹300 है और अगर यह ₹50 प्रति यूनिट की दर से वसूली जाए तो हर घर पर कम से कम 15000 रुपए प्रति महीने का बिजली शुल्क आएगा और यह तब होगा जब न्यूनतम चार्ज नहीं जुड़ा हुआ हो.