दिल्ली में वाहन प्रदूषण जांच की प्रक्रिया में अब एक महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। इस नई प्रणाली के तहत, प्रत्येक प्रदूषण जांच के दौरान वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य होगी। यह कदम बिना प्रदूषण जांच के प्रमाण पत्र (PUC) जारी करने की शिकायतों के बाद उठाया गया है।
वीडियो रिकॉर्डिंग की शुरुआत
- अनिवार्य प्रक्रिया: नए साल से, दिल्ली में सभी प्रदूषण जांच केंद्रों के लिए वीडियो बनाना जरूरी हो जाएगा।
- वीडियो की अवधि: प्रदूषण जांच के समय कम से कम 10 सेकंड का वीडियो बनाना होगा, जिसमें वाहन की नंबर प्लेट और प्रदूषण जांच प्रक्रिया शामिल होनी चाहिए।
व्यापक प्रभाव
- प्रदूषण जांच की संख्या: दिल्ली में हर माह 3 से 5 लाख वाहनों की प्रदूषण जांच होती है।
- शिकायतों का समाधान: इस नई व्यवस्था से बिना प्रदूषण जांच किए PUC जारी करने की शिकायतों में कमी आएगी।
- सॉफ्टवेयर अपग्रेडेशन: इसके लिए वाहन सॉफ्टवेयर को भी अपग्रेड किया गया है।
अब तक जिन वाहनों का असल में इन जान प्रदूषण फैला रहा होता था उनके भी वाहन प्रदूषण सर्टिफ़िकेट बन जाते थे और इसके लिए प्रदूषण सर्टिफ़िकेट बनाने वाले ये सेंटर अलग अलग तिकड़म अपनाते थे। अब वीडियोग्राफी के अनिवार्य किए जाने के बाद यह सारी फ़रेबी नहीं चलेगी।
अब अगर प्रदर्शन सर्टिफ़िकेट के बावजूद आपकी गाड़ी से ज़्यादा धुआँ निकलता हुआ दिखाई दिया तो ऐसी स्थिति में प्रदूषण सर्टिफ़िकेट बनाने वाले केंद्र के वीडियो की जाँच की जा सकेगी और अगर फ़र्ज़ी पाया गया तो कार्रवाई की जाएगी।