New Law elder Care India. सावधान, यदि अब आपने अपने माता-पिता या आश्रित बुजुर्गों की देखभाल से मुंह फेरा तो आपकी खैर नहीं। आपको छह माह तक की जेल हो सकती है, साथ ही अब आपको हैसियत और आय के हिसाब से माता-पिता को प्रतिमाह गुजारा भत्ता देना होगा।
केवल 10 हज़ार से नहीं चलेगा काम
पहले प्रस्तावित विधेयक में गुजारा भत्ता की अधिकतम सीमा 10 हजार रुपये प्रति माह रखी गई थी, मगर अब सरकार बुजुर्गों के भरण-पोषण से जुड़े सालों पुराने कानून में बड़े बदलाव को तैयार है। इसे और सख्त बनाया जाएगा। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय करीब तीन साल के लंबे इंतजार के बाद माता-पिता व बुजुर्गों के भरण पोषण से जुड़े विधेयक में बदलाव लेकर आया है। संसद के शीतकालीन सत्र में इसे लाने की पूरी तैयारी है।
2019 में ही बना था विधेयक
इस विधेयक को पहली बार वर्ष 2019 में संसद में पेश किया गया था, लेकिन बाद में इसे स्टैंडिंग कमेटी को भेज दिया गया था। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक कमेटी के सुझाव के बाद इस विधेयक में कई अहम बदलाव किए गए हैं। इसमें बुजुर्गों को भगवान भरोसे नहीं छोड़ा जाएगा। कोई उनकी सेवा नहीं करता है तो फिर सरकार उनकी देखभाल करेगी। इसके लिए देश में एक ढांचा खड़ा किया जाएगा।
हर ज़िले में होगी सुविधा
इसमें प्रत्येक जिले में बुजुर्गों की मौजूदगी को मैपिंग करते हुए मेडिकल सुविधा युक्त वृद्धाश्रम बनेंगे और जिला स्तर पर एक सेल गठित होगी । यह सेल इससे जुड़ी सुविधाओं को संचालित करेगी। गौरतलब है कि माता-पिता और बुजुर्गों की देखभाल से जुड़ा मौजूदा कानून वर्ष 2007 में बना था।
नाती, पोते और दामाद तक को देना होगा गुजारा
बेटा-बेटी ही नहीं, नाती-पोते और दामाद से भी ले सकेंगे गुजारा भत्ता प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, माता-पिता अब सिर्फ अपने जैविक बच्चों से ही गुजारा भत्ता लेने के हकदार नहीं होंगे, बल्कि अब वह नाती-पोते, दामाद या फिर ऐसे संबंधी जो उनकी संपत्ति के दावेदार होंगे, उन सभी संबंधियों से वह गुजारा भत्ता मांग सकेंगे। मौजूदा समय में देश में बुजुर्गों की कुल आबादी 12 करोड़ है। इसके वर्ष 2050 तक करीब 33 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।