केंद्र सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए, महिला कर्मचारियों के लिए पारिवारिक पेंशन नियमों में संशोधन किया है। यह फैसला महिलाओं को उनकी स्वतंत्रता और अधिकारों के प्रति अधिक सशक्त बनाने का एक प्रयास है।

पेंशन नियमों में बदलाव

नया नियम और इसका महत्व पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने नया नियम जारी करते हुए कहा है कि अब महिला कर्मचारी, वैवाहिक विवाद या घरेलू हिंसा के मामले में, अपने पति के बजाय अपने बच्चों को पारिवारिक पेंशन के लिए नामांकित कर सकती हैं।

विभिन्न परिस्थितियों में लागू यह नियम उन मामलों में लागू होगा, जहां तलाक की याचिका दायर की गई है, घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम के तहत याचिका दायर की गई है, या भारतीय दंड संहिता के तहत दर्ज मामले शामिल हैं।

महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा

महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा इस नए नियम के साथ, सरकार ने महिलाओं को उनके निजी और पेशेवर जीवन में अधिक सशक्त बनाने का एक साहसिक कदम उठाया है। इससे महिलाएं अपनी और अपने बच्चों की आर्थिक सुरक्षा में अधिक सक्रिय भूमिका निभा पाएंगी।

पुराने नियमों के तहत क्या था? पुराने नियमों के अनुसार, पेंशनभोगी के जीवित पति या पत्नी को पेंशन पर पहला हक होता था। नए नियम से महिलाओं को उनके पति के बजाय अपने बच्चों के प्रति अधिकार और जिम्मेदारी संभालने की स्वतंत्रता मिली है।

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