बॉम्बे हाईकोर्ट ने लोन न चुका पाने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि सरकारी बैंकों के पास उनके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) जारी करने का अधिकार नहीं है। यह फैसला न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि लुकआउट सर्कुलर मनमाना और असंवैधानिक है, क्योंकि यह उन्हें देश छोड़ने से रोकता है और उनकी स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि लुकआउट सर्कुलर जारी करने का अधिकार केवल तभी है जब अपराधी फरार होने की आशंका हो, जबकि ऋण चूककर्ता आमतौर पर फरार नहीं होते हैं।
इस फैसले के महत्वपूर्ण परिणाम:
- लुकआउट सर्कुलर रद्द: इस फैसले के बाद, सरकारी बैंकों द्वारा लोन डिफॉल्टर्स के खिलाफ जारी किए गए सभी लुकआउट सर्कुलर रद्द हो जाएंगे।
- न्यायमूर्ति गौतम पटेल ने कहा कि ऋण वसूली के लिए बैंकों के पास पहले से ही कई कानूनी उपाय उपलब्ध हैं, जैसे कि संपत्ति कुर्क करने और दिवालिया कार्यवाही शुरू करने का अधिकार।
- यह फैसला ऋण चूककर्ताओं के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है, क्योंकि इससे उन्हें देश छोड़ने और अपनी आजीविका कमाने की स्वतंत्रता मिलेगी।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह फैसला केवल सरकारी बैंकों पर लागू होता है, निजी बैंकों को अभी भी अपने ऋण चूककर्ताओं के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी करने का अधिकार है।
अदालत ने यह भी कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के अध्यक्षों को भी लुकआउट सर्कुलर जारी करने का अधिकार नहीं है। यह अधिकार केवल तत्कालीन वित्त सचिव या उससे वरिष्ठ अधिकारी के पास ही होगा।
यह फैसला ऋण चूककर्ताओं और बैंकिंग प्रणाली दोनों के लिए दूरगामी परिणाम ला सकता है। ऋण चूककर्ताओं को इससे राहत मिल सकती है, वहीं बैंकों को ऋण वसूली के लिए नए तरीके खोजने होंगे।