तेल निर्यातक देशों का संगठन (ओपेक+) अपने हर दिन के क्रूड ऑयल के प्रोडक्शन में 2 मिलियन (20 लाख) बैरल की कटौती करने पर विचार कर रहा है. यह समूह जल्दी ही इस कटौती पर चर्चा करने जा रहा है.
अगर ऐसा होता है तो भारत समेत दुनिया के कई देशों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में तेजी आ सकती है. जानकारों का मानना है कि कई देश अपनी क्षमता से कम ईंधन का इस्तेमाल कर रहे हैं इसलिए इस फैसले का असर उतना व्यापक नहीं होगा.
हालांकि, ये फैसला भारत के लिए काफी महत्व रखता है. भारत अपनी जरूरत का 70 फीसदी कच्चा तेल ओपेक देशों से ही मंगाता है. ऐसा तब है जब भारत के ओपेक से तेल आयात में कमी आई है. इस कटौती का एक दूसरा पहलू है कि तेल की मांग घटने के कारण ही ओपेक देश ये कदम उठाने पर मजबूर हुए हैं.
भारत के चार महानगरों में पेट्रोल-डीजल की कीमत
वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल में तेजी देखने को मिली थी. ब्रेट क्रूड मंगलवार को 91.88 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था. हालांकि, देश में इसका तेल की कीमतों पर कोई खासा असर नहीं हुआ. दिल्ली में आज पेट्रोल 96.72 रुपये और डीजल 89.62 रुपये प्रति लीटर बिक रहा था. इसके अलावा मुंबई में पेट्रोल 106.31 रुपये, कोलकाता में 106.03 रुपये और चेन्नई में 102.63 पर प्रति लीटर बिक रहा था. मुंबई में डीजल 94.27 रुपये, कोलकाता में 92.76 रुपये और चेन्नई में 94.24 रुपये प्रति लीटर मिल रहा था.
अमेरिका में मची खलबली
मामले के जानकारों का कबना है कि यूएस लगातार खाड़ी देशों से बात कर इस फैसले से पीछे हटने की गुहार लगा रहा है. अमेरिकी में नवंबर में मिड टर्म इलेक्शन होने हैं जिसे देखते हुए राष्ट्रपति जो बाइडन किसी तरह ईंधन की कीमतों को काबू में रखने का प्रयास कर रहे हैं. रेपिडन एनर्जी के संस्थापक बॉब मैकनेली के अनुसार, बाइडन प्रशासन तेल की कीमतों में उछाल की आशंका से काफी परेशान है. उन्होंने कहा कि अगर ओपेक बड़े स्तर पर उत्पादन में कटौती करता है तो उसे अमेरिका के विरोध का सामना करना पड़ सकता है.
प्रतिबंध की तैयारी में अमेरिका
ब्लूमबर्ग की एक खबर के अनुसार, अमेरिका राष्ट्रपति भवन के अधिकारियों ने एनर्जी डिपार्टमेंट से यह पता लगाने को कहा है कि क्या पेट्रोल-डीजल व अन्य रिफाइंड पेट्रोलियम प्रोडक्टस के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से देश में कीमतें काबू में रहेंगी. खबर के अनुसार, इस विचार को बाइडन प्रशासन में कुछ लोगों से समर्थन भी मिल रहा है.