11 रुपये सस्ता दूध और।19 रुपये सस्ता दही बेचती हैं यह कंपनी.
क्या अमूल सच में नंदिनी को टक्कर दे सकती है, क्योंकि दोनों कंपनियों के बीच तगड़ा ‘प्राइस वॉर’ होना तय है. आपको बताते चलें, अमूल की इस एंट्री का ना तो जनता ने स्वागत किया है और ना ही राज्य की विपक्षी राजनीतिक पार्टियों ने. बीते कई दिनों से सोशल मीडिया पर जहां #GoBackAmul और #SaveNandini ट्रेंड कर रहे हैं. वहीं राजनीतिक रैलियों में अमूल पर ‘गुजराती दूध’ का टैग लगा दिया गया है.
इस मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने हैं. बायकॉट ट्रेंड का शिकार हुई अमूल, सोशल मीडिया से राजनीति तक मचा घमासान अमूल बहुत बड़ा, नंदिनी भी कम नहीं भले अमूल देश का सबसे बड़ा मिल्क ब्रांड हो, लेकिन अभी भी पूरे देश में इसका दूध नहीं बिकता है. अलग-अलग राज्यों की मिल्क को-ओपरेटिव से उसे प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है. ताजा मामला कर्नाटक की केएमएफ और उसका मिल्क ब्रांड नंदिनी का है.
अमूल से छोटी होने के बावजूद कर्नाटक, आसपास के राज्य और विशेषकर बेंगलुरू में ‘नंदिनी’ कई मामलों में उस पर भारी पड़ती है. नंदिनी ब्रांड के लिए केएमएफ हर दिन 24 लाख पशुपालकों से 81.3 लाख लीटर दूध इकट्ठा करता है. जबकि अमूल 36.4 लाख किसानों से हर दिन करीब 2.63 करोड़ लीटर दूध एकत्र करता है. वहीं ‘नंदिनी’ हर दिन 10 लाख लीटर दूध प्रोसेस करती है, जबकि अमूल 52 लाख लीटर दूध को प्रोसेस करता है.
11 रुपये सस्ता दूध देता हैं यह ब्रांड.
Amul के विरोध में उतरा होटल एसोसिएशन, कहा- बायकॉट करें अमूल देश के कई बड़े बाजार और कई एशियाई देशों में दूध बेचता है. जबकि नंदिनी ब्रांड का दूध बेंगलुरू और कर्नाटक के अलावा आसपास के राज्य जैसे कि तमिलनाडु, महाराष्ट्र और तेलंगाना में भी सप्लाई होता है. 11 रुपये सस्ता है नंदिनी का दूध अमूल और नंदिनी के प्राइस को देखें, तो यहां नंदिनी के पास लीड है. दोनों ही ब्रांड लगभग सभी पॉपुलर कैटेगरी जैसे कि टोन्ड मिल्क, फुल क्रीम मिल्क और दही में सेल करते हैं.
मात्र 43 रुपये में मिलता हैं 1 लीटर.
लेकिन इनके प्राइस में बहुत अंतर है. अमूल का एक लीटर टोन्ड दूध 54 रुपये प्रति लीटर और फुल क्रीम दूध 66 रुपये प्रति लीटर है. वहीं नंदिनी का टोंड दूध 43 रुपये प्रति लीटर और फुल क्रीम दूध 55 रुपये लीटर है. यानी सीधे-सीधे 11 रुपये प्रति लीटर सस्ता.
दही 19 रुपये सस्ता.
इतना ही नहीं अमूल का दही करीब 66 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से मिलता है, वहीं नंदिनी का दही 19 रुपये सस्ता यानी 47 रुपये प्रति लीटर मिलता है. आखिर कैसे सस्ता बेच पाती है नंदिनी? ‘नंदिनी’ ब्रांड को 1974 में वर्ल्ड बैंक की मदद से शुरू किया गया था. केएमएफ सीधे कर्नाटक राज्य सरकार के सहकारिता मंत्रालय के तहत आता है.
साल 2008 में कर्नाटक सरकार ने दुग्ध उत्पादक किसानों को 2 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से प्रोत्साहन राशि देना शुरू किया था. मौजूदा वक्त में ये 6 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई है. इसलिए केएमएफ देश के अन्य मिल्क को-ओपरेटिव की तुलना में सस्ता दूध बेच पाता है. नंदिनी बेंगलुरू के 70 प्रतिशत मिल्क मार्केट पर कब्जा रखती है. यहां 33 लाख लीटर दूध की मांग है, जिसमें से नंदिनी हर दिन 23 लाख लीटर दूध की सप्लाई करती है.