ऑस्ट्रेलिया की एक फेडरल कोर्ट ने पांच ऑस्ट्रेलियाई महिलाओं को कतर एयरवेज के खिलाफ मुकदमा दायर करने की अनुमति दे दी है। इन महिलाओं का आरोप है कि उन्हें 2020 में दोहा एयरपोर्ट पर उनकी मर्जी के बिना जबरन प्लेन से उतारकर प्राइवेट पार्ट्स की जांच की गई थी।
ये महिलाएं उस समय सिडनी जा रही एक फ्लाइट में सवार थीं, जब हथियारबंद सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें प्लेन से उतारा और एंबुलेंस के जरिए जांच के लिए ले जाया गया। इनमें से चार महिलाओं की बॉडी चेकिंग की गई, जिनमें से तीन की जांच बेहद निजी और अस्वीकार्य बताई गई है। यह सब उस वक्त हुआ जब एयरपोर्ट के बाथरूम में एक नवजात बच्चा लावारिस मिला था। उसी की मां को ढूंढने के लिए यह जांच की गई थी। हालांकि बच्चा सही सलामत था, लेकिन इस जांच के तरीके पर दुनियाभर में नाराज़गी जताई गई।
महिलाओं ने कतर एयरवेज ग्रुप, कतर सिविल एविएशन अथॉरिटी (QCAA), और एयरपोर्ट ऑपरेट करने वाली कंपनी मातार के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। आरोपों में लापरवाही, शारीरिक हमला, झूठे आरोपों में कैद और जबरदस्ती शामिल हैं।
लेकिन कोर्ट ने इस मामले को खारिज कर दिया जिसमें महिलाओं द्वारा कतर एयरवेज के खिलाफ “गैरकानूनी शारीरिक संपर्क” के लिए मुआवज़ा मांगा था, कोर्ट ने खारिज कर दिया था। जस्टिस जॉन हेली ने फैसला सुनाया था कि कतर एयरवेज पर मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए क्योंकि उसके कर्मचारियों का कतर पुलिस की कार्रवाई पर कोई असर नहीं था, जिन्होंने विमान में आकर महिलाओं को बाहर निकाला।
जज हेली ने यह भी माना कि कतर सिविल एविएशन अथॉरिटी (QCAA) को कोर्ट के अधिकार क्षेत्र से छूट मिली हुई है और महिलाओं को सलाह दी कि वे अपना केस मातार कंपनी के खिलाफ दोबारा दायर कर सकती हैं, जो एयरपोर्ट की संचालन कंपनी है। हालांकि, महिलाओं ने इस फैसले के खिलाफ अपील दायर की, ताकि वे कतर एयरवेज और QCAA के खिलाफ सीधे मुकदमा जारी रख सकें।
गुरुवार की सुबह ऑस्ट्रेलिया के फेडरल जज एंगस स्टीवर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि न्यायमूर्ति जॉन हेली ने उस समय गलती की जब उन्होंने यह मानते हुए महिलाओं का केस खारिज कर दिया था कि महिलाओं की जांच विमान चढ़ने या उतरने के दौरान नहीं हुई थी। जज स्टीवर्ट ने कहा कि अभी इस बात की पूरी पुष्टि नहीं की जा सकती कि एम्बुलेंस में जो हुआ वह विमान की ‘चढ़ाई या उतराई की प्रक्रिया’ का हिस्सा नहीं था। इसलिए यह मुद्दा सुनवाई में ही तय किया जा सकता है, न कि सिर्फ दस्तावेज़ों के आधार पर।
उन्होंने यह भी कहा कि मातार कंपनी (जो कतर के एयरपोर्ट चलाती है) की यह दलील कि जांच करने वाली नर्स उसकी कर्मचारी नहीं थी, अभी विवादास्पद है और मुकदमे में बहस का विषय हो सकती है। साथ ही कोर्ट ने माना कि यह गलत था कि यह मान लिया गया कि मातार की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती, खासकर एम्बुलेंस के आस-पास हुई घटनाओं में।
नतीजतन, कोर्ट ने आदेश दिया कि कतर एयरवेज और मातार को महिलाओं की अपील का खर्च उठाना होगा। हालांकि, कोर्ट ने कतर सिविल एविएशन अथॉरिटी (QCAA) के खिलाफ अपील को यह कहते हुए खारिज कर दी है कि सरकारी संस्था के कार्य “राज्य के सार्वजनिक कार्यों” का हिस्सा थे, इसलिए उस पर केस नहीं चल सकता।




