जब रूस ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमला किया, तो यूरोप ने तत्काल प्राकृतिक गैस (LNG) के वैकल्पिक स्रोत खोजने शुरू किए। पहले यूरोप दशकों से सस्ती गैस और तेल के लिए रूस पर निर्भर था, लेकिन अब उसे अन्य स्रोतों की ज़रूरत थी। ऐसे में कतर एक प्रमुख विकल्प बनकर उभरा।
लेकिन अब यूरोप की एक नई पर्यावरणीय और मानवाधिकार नीति Corporate Sustainability Due Diligence Directive (CSDDD) कतर को नाराज़ कर रही है। इस कानून के तहत अगर किसी कंपनी ने मानवाधिकार या पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया तो उसे भारी जुर्माना देना पड़ेगा या मुआवज़ा देना होगा। कतर के ऊर्जा मंत्री ने इस कानून को “बकवास” बताया और धमकी दी कि अगर क़तर की कंपनियों को इस कानून के तहत दंडित किया गया तो वो यूरोप को LNG भेजना बंद कर देगा। उन्होंने यूरोपीय आयोग को पत्र भी लिखा है।
यूरोप इस चेतावनी को बहुत गंभीरता से ले रहा है, क्योंकि कतर यूरोप का तीसरा सबसे बड़ा एलएनजी आपूर्तिकर्ता है। रूस को बाहर करने के बाद यूरोप को कतर से और ज़्यादा गैस मिलने की उम्मीद थी। लेकिन समस्या यह है कि कतर पहले से ही चीन को बड़ी मात्रा में गैस बेच रहा है और चीन से उसके मजबूत समझौते भी हैं। कतर अपनी उत्पादन क्षमता 2030 तक लगभग दोगुनी कर रहा है, जिससे वह दुनिया की सबसे बड़ी LNG आपूर्तिकर्ता बन जाएगा।
यदि कतर यूरोप को गैस देना बंद कर देता है और ज़्यादा गैस चीन भेजता है, तो इससे यूरोप में भारी ऊर्जा संकट आ सकता है, और अमेरिका की गैस पर पूरी निर्भरता बन सकती है। यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है अगर चीन 2027 में ताइवान पर हमला करता है, जैसा कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी सेना को तैयार रहने के लिए कहा है।




