भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गंभीर वित्तीय संकट के चलते हिरियूर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द करने का ऐलान किया है। 12 जनवरी को जारी इस निर्णय से बैंक के भविष्य और ग्राहकों पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंता का माहौल है।
बैंक की डूबती नैया 🚢
आरबीआई के अनुसार, बैंक की वित्तीय स्थिति इतनी कमजोर है कि वह अपने जमाकर्ताओं को पूरा भुगतान करने में असमर्थ है। इसके चलते बैंक का बने रहना जमाकर्ताओं के हितों के लिए हानिकारक माना गया है।
ग्राहकों पर प्रभाव 📉
लाइसेंस रद्द होने के बाद बैंक को ‘बैंकिंग’ बिजनेस करने से पूरी तरह रोक दिया गया है। इसमें जमा राशि स्वीकारना और उसका रीपेमेंट शामिल है। लिक्विडेशन के दौरान डिपॉजिट इंश्योरेंस और क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के तहत प्रत्येक जमाकर्ता को 5 लाख रुपये तक की मॉनेटरी सीमा का दावा करने का अधिकार है।
ग्राहकों के हक में फैसला ✅
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 99.93% जमाकर्ता DICGC से अपनी पूरी जमा राशि प्राप्त करने के हकदार हैं। डीआईसीजीसी पहले ही बैंक के संबंधित जमाकर्ताओं को 224.53 लाख रुपये का भुगतान कर चुकी है।
महत्वपूर्ण जानकारी टेबल
विषय | जानकारी |
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RBI निर्णय | हिरियूर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द |
लाइसेंस रद्द का कारण | वित्तीय स्थिति कमजोर |
ग्राहकों पर प्रभाव | बैंकिंग बिजनेस करने से रोक, जमा और रीपेमेंट प्रभावित |
DICGC कवरेज | प्रत्येक जमाकर्ता को 5 लाख रुपये तक की मॉनेटरी |