केंद्र सरकार ने भारतीय वाहनों में सुरक्षा मानकों को और सख्त बनाने के लिए नए प्रस्ताव जारी किए हैं। इसके तहत, 1 अप्रैल 2025 से सभी यात्री कारों में पीछे वाली सीटों पर सीट बेल्ट अलार्म लगाना अनिवार्य होगा। इस नए नियम का उद्देश्य दुर्घटनाओं के समय यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाना और चोटिल होने की संभावना को कम करना है।
नियमों में बदलाव का कारण
- सुरक्षा प्रणाली (रेस्ट्रेंट सिस्टम): यह एक ऐसी प्रणाली है जो दुर्घटना के समय वाहन में बैठे यात्रियों की गति को रोकने में मदद करती है और उन्हें चोट से बचाती है। इसमें सीट बेल्ट, एयरबैग, और सीट बेल्ट अलार्मिंग सिस्टम जैसी सुविधाएं शामिल हैं।
- मोटर वाहन अधिनियम: केंद्र सरकार ने मोटर वाहन नियमों में संशोधन का प्रस्ताव रखा है, जिसके तहत सभी यात्री कारों में सीट बेल्ट और अलार्म सिस्टम का इस्तेमाल अनिवार्य किया जाएगा। यह बदलाव 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा। इसके अलावा, 1 अप्रैल 2026 से बसों और भारी वाहनों में भी सीट बेल्ट अनिवार्य कर दी जाएगी।
दुर्घटनाओं में सीट बेल्ट का महत्व
विशेषज्ञों का कहना है कि सड़क दुर्घटनाओं के समय सीट बेल्ट लगाना मृत्यु दर को कम करने में अहम भूमिका निभाता है। 2022 में सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 16,715 लोगों की मृत्यु इस वजह से हुई क्योंकि उन्होंने सीट बेल्ट नहीं पहनी थी। इसमें 8,384 चालक और 8,331 यात्री शामिल थे।