रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) और सरकार के बीच गैस माइग्रेशन को लेकर विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने रिलायंस, BP एक्सप्लोरेशन (अल्फा) लिमिटेड और NIKO (NECO) लिमिटेड पर $2.81 बिलियन (लगभग ₹23,000 करोड़) का नया दावा ठोका है।
यह विवाद 2018 से चला आ रहा है, जब सरकार ने रिलायंस पर ONGC के ब्लॉक से गैस के माइग्रेशन का आरोप लगाया था। उस समय सरकार ने $1.55 बिलियन (₹12,500 करोड़) का दावा किया था, लेकिन यह मामला कानूनी उलझनों में फंस गया। अब दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने इस दावे को बढ़ाकर $2.81 बिलियन कर दिया है।
क्या है पूरा मामला?
- ONGC और रिलायंस दोनों के पास कृष्णा-गोदावरी (KG) बेसिन में गैस ब्लॉक हैं।
- सरकार का कहना है कि रिलायंस के KG-D6 ब्लॉक से गैस ONGC के ब्लॉक में माइग्रेट हो गई।
- सरकार का दावा है कि ONGC को इससे भारी नुकसान हुआ और इसका लाभ रिलायंस और उसके साझेदारों को मिला।
- इसी वजह से सरकार ने पहले $1.55 बिलियन का हर्जाना मांगा था, लेकिन अब यह बढ़ाकर $2.81 बिलियन कर दिया गया है।

पहले क्या हुआ था?
यह मामला दिल्ली हाई कोर्ट में पहुंचा, जहां 2023 में सिंगल जज बेंच ने सरकार के दावे को खारिज कर दिया। सरकार इस फैसले से संतुष्ट नहीं थी और उसने इसे डिवीजन बेंच में चुनौती दी।
3 मार्च 2025 को दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने सरकार के पक्ष में फैसला सुना दिया, जिससे सरकार को इस मामले में नई मांग करने का अधिकार मिल गया। इसके बाद सरकार ने रिलायंस और उसके साझेदारों पर $2.81 बिलियन का नया दावा ठोक दिया।
रिलायंस का पक्ष
रिलायंस ने इस दावे को पूरी तरह गलत बताया है और कहा है कि वह इस फैसले को फिर से अदालत में चुनौती देगी।
- कंपनी ने एक्सचेंज फाइलिंग में कहा है कि यह अस्थायी मांग टिकाऊ नहीं है और इसका कानूनी आधार कमजोर है।
- रिलायंस का कहना है कि हमें इस मामले में किसी भी वित्तीय नुकसान की आशंका नहीं है।
- कंपनी जल्द ही सुप्रीम कोर्ट या किसी अन्य ऊपरी अदालत में अपील कर सकती है।
आगे क्या हो सकता है?
- सरकार ने अब तक रिलायंस से यह हर्जाना वसूलने की कोई कार्रवाई नहीं की है, लेकिन भविष्य में इस पर कोई बड़ा कदम उठ सकता है।
- रिलायंस अगर इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाती है और वहां से फैसला सरकार के खिलाफ जाता है, तो सरकार को नुकसान हो सकता है।
- अगर सुप्रीम कोर्ट सरकार के पक्ष में फैसला सुनाता है, तो रिलायंस और उसके साझेदारों को भारी वित्तीय नुकसान हो सकता है।
इस विवाद का असर क्या होगा?
इस विवाद का तेल और गैस सेक्टर पर बड़ा असर पड़ सकता है।
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रिलायंस के शेयर पर दबाव:
- इस खबर के बाद रिलायंस के शेयरों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।
- निवेशक इस केस पर लगातार नजर बनाए रखेंगे।
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ONGC को हो सकता है फायदा:
- अगर सरकार यह दावा जीत जाती है तो ONGC को मुआवजा मिल सकता है।
- इससे कंपनी के फाइनेंशियल परफॉर्मेंस पर पॉजिटिव असर पड़ेगा।
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ऊर्जा क्षेत्र में कानूनी पेचिदगियां बढ़ेंगी:
- यह केस दूसरे प्राइवेट सेक्टर कंपनियों को सरकार के साथ गैस और तेल एक्सप्लोरेशन प्रोजेक्ट्स में सतर्क रहने के लिए मजबूर कर सकता है।
- निवेशक भी ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करने से पहले इस कानूनी विवाद को ध्यान में रखेंगे।



