मौजूदा समय में अमूमन सब कोई अपना घर होने के बावजूद भी किसी न किसी शहर में किराए के मकान में ही अपना गुजर बसर करता है. समस्या तब आती है जबकि राय के मकान में मकान मालिक और किराएदार के बीच विवाद की दीवार खड़ी होने लगती है.
ऐसी स्थिति में किराएदार को अक्सर कमजोर पक्ष समझा जाता है लेकिन कई ऐसे नियम है जो किराएदार के पक्ष में मजबूती से साथ निभाते हैं लेकिन इसकी जानकारी लोगों को नहीं होती है. संक्षिप्त में हमने आज के खबर में इसकी जानकारी लाई है.
किराएदार के अधिकारों के इंपोर्टेंट बिंदु
- मकान खाली करने पर: रेंट एग्रीमेंट में निर्धारित समय से पहले मकान मालिक किराएदार को मकान से नहीं निकाल सकता।
- किराया बढ़ाने पर: मकान मालिक को किराया बढ़ाने के लिए कम से कम तीन महीने पहले नोटिस देना होता है।
- बिजली, पानी, और पार्किंग: किराएदार को बिजली, साफ पानी और पार्किंग जैसी मूलभूत सुविधाएँ मांगने का अधिकार है।
- मकान की मरम्मत: रेंट एग्रीमेंट लागू होने के बाद मकान की मरम्मत का जिम्मा मकान मालिक का होता है।
- किराएदार की मृत्यु पर: किराएदार की मृत्यु होने पर मकान मालिक उसके परिवार को मकान खाली करने के लिए नहीं कह सकता।
- मकान मालिक की यात्रा पर: मकान मालिक को किराएदार के घर में प्रवेश करने से पहले कम से कम 24 घंटे पहले नोटिस देना चाहिए।
- किराया रसीद: किराएदार को हर महीने किराया देने पर रसीद मिलने का अधिकार है।
ध्यान देने योग्य बिंदु:
- रेंट एग्रीमेंट की शर्तों का पालन करना मकान मालिक और किराएदार दोनों के लिए अनिवार्य है।
- किराएदार और मकान मालिक के बीच किसी भी तरह के विवाद का समाधान रेंट अथॉरिटी के माध्यम से किया जा सकता है।