मस्जिद-ए-हरम और मस्जिद-ए-नबवी के मामलों की सामान्य अध्यक्षता इस्लामी वर्ष 1447 हिजरी की शुरुआत के उपलक्ष्य में इस गुरुवार को पवित्र काबा के काले रेशमी आवरण, किस्वा, को बदलने की पारंपरिक रस्म शुरू करने जा रही है.
नई किस्वा, जो लगभग 11 महीनों की बारीक कारीगरी के बाद पूरी हुई है, मक्का के उम्म अल-जौद क्षेत्र स्थित किंग अब्दुलअज़ीज़ कॉम्प्लेक्स फॉर होली काबा किस्वा में तैयार की गई है.
यह प्रक्रिया सदियों पुरानी परंपराओं का पालन करती है और इसमें कुल सात प्रमुख चरण शामिल होते हैं:
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जल शुद्धिकरण
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रेशम की धुलाई
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काले रंग की डाई
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बुनाई
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क़ुरआनी आयतों की ज्यामितीय छपाई
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सोने और चांदी के धागों से कढ़ाई
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अंतिम संयोजन और निरीक्षण
यह पूरी प्रक्रिया धार्मिक आस्था, कलात्मक उत्कृष्टता और सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक मानी जाती है. किस्वा 47 बारीकी से बुने गए काले रेशम के टुकड़ों से बनाई जाती है, जिन पर क़ुरआन की 68 आयतें कढ़ी जाती हैं. ये आयतें चांदी के धागों से कढ़ाई की जाती हैं, जिन पर 24 कैरेट सोने की परत चढ़ी होती है. पूरी किस्वा का कुल वजन लगभग 1,415 किलोग्राम होता है.
पुरानी किस्वा को हटाने की पारंपरिक रस्म बुधवार दोपहर, यानी 29 ज़िलहिज्जा को असर की नमाज़ के बाद शुरू होगी. इसके बाद गुरुवार तड़के, यानी 1 मुहर्रम को, नई किस्वा को आधिकारिक रूप से काबा पर चढ़ाया जाएगा, जो हिजरी नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक होगा.




