फरवरी 2022 से पहले मोदी सरकार रूस से केवल 0.50 प्रतिशत तेल आयात करती थी. हालांकि, 2025 में यह मात्रा तेजी से बढ़कर 30–35 प्रतिशत तक पहुंच गई है. पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, अब रूस भारत के प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ताओं में शामिल हो गया है. रिपोर्टों के मुताबिक, मौजूदा स्थिति आने वाले दिनों में भी बनी रह सकती है. पिछले तीन सालों के दौरान—चाहे वह सीरिया संघर्ष रहा हो, गाज़ा संकट हो या मौजूदा ईरान-इज़राइल तनाव—भारत को रूस से तेल प्राप्त करने में कोई कठिनाई नहीं हुई है.
रूस से तेल खरीदने की नीति जारी
वैश्विक स्तर पर बढ़ती अनिश्चितताओं को देखते हुए, भारतीय सरकार रूस से अधिकतम तेल खरीद की नीति को जारी रखेगी. भारत की सार्वजनिक और निजी तेल कंपनियां रूसी आपूर्तिकर्ताओं के साथ सक्रिय रूप से संपर्क कर रही हैं ताकि तेल की खरीद को और बढ़ाया जा सके.
सरकारी कंपनियां बना रही हैं दैनिक रिपोर्ट
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय और पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों की एक टीम देश में पेट्रोलियम उत्पादों की मौजूदा स्थिति, तेल आयात और घरेलू भंडार की उपलब्धता का मूल्यांकन कर रही है. वैश्विक कच्चे तेल बाजार की स्थिति पर सरकार के उच्च स्तर पर निगरानी रखी जा रही है.
सरकारी तेल कंपनियों को प्रतिदिन रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं. इसके साथ ही संकेत मिले हैं कि अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में जारी अस्थिरता के चलते भारत लैटिन अमेरिकी और अफ्रीकी देशों से भी अतिरिक्त तेल आयात पर विचार कर रहा है.
अन्य देशों से भी बढ़ेगी तेल ख़रीद
हरदीप सिंह पुरी के नेतृत्व वाले पेट्रोलियम मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि भारत का लक्ष्य न केवल रूस और अमेरिका जैसे देशों से बड़े पैमाने पर कच्चे तेल की खरीद करना है, बल्कि नाइजीरिया, मैक्सिको, अंगोला और गुयाना जैसे देशों से भी आयात बढ़ाना है.
मध्य पूर्व में बनी स्थिति को देखते हुए, इराक, सऊदी अरब और यूएई से आपूर्ति कुछ हद तक प्रभावित हो सकती है। वर्तमान में भारत अपनी कच्चे तेल की ज़रूरत का लगभग 35% रूस से, 19% इराक से, 14% सऊदी अरब से, 10% यूएई से और 5% अमेरिका से आयात करता है.
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक देश
साल 2025 में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक देश बन गया है. भारत प्रतिदिन औसतन 5.1 मिलियन बैरल कच्चा तेल आयात करता है. देश अपनी कुल कच्चे तेल की आवश्यकता का लगभग 86 प्रतिशत हिस्सा विदेशों से मंगवाता है. इस वजह से वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों या आपूर्ति से जुड़ी कोई भी समस्या भारत के लिए चिंता का विषय बन जाती है.




