ईरान और इजरायल के बीच चलने वाले युद्ध में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इस खुलासे को सुनकर आपको भी हैरानी होगी। सामने आया है कि सऊदी अरब ने इजरायल को बचाने के लिए शिया ईरान के खिलाफ गुप्त रूप से अभियान में हिस्सा लिया था। भले ही सार्वजनिक रूप से सऊदी इजरायली हमले की निंदा कर रहा था लेकिन दूसरी ओर वो ईरान के ड्रोन को समाप्त भी कर रहा था।
ईरानी मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो सऊदी अरब की वायु सेना ने इराक और जॉर्डन के ऊपर हवाई क्षेत्र को पार करने वाले मानव रहित हवाई वाहनों को मार गिराने के लिए हेलीकॉप्टर भेजे थे। रिपोर्ट में सामने आया है कि ईरान के कुछ ड्रोन इजरायल की ओर बढ़ने वाले थे लेकिन सऊदी अरब के क्षेत्र की सुरक्षा के तहत उन्हें पहले ही रोक दिया गया। हालांकि, रियाद ने आधिकारिक तौर पर इन अभियानों में शामिल होने की पुष्टि नहीं है। लेकिन सऊदी गुप्त तरीके से यहूदी देश इजरायल के साथ ही खड़ा हुआ था।
अमेरिका इजरायल और सऊदी को ला रहा है साथ
यूं तो जॉर्डन ने ईरानी ड्रोन को रोकने में अपनी भूमिका को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है। फ्रांस ने अपनी भागीदारी को जॉर्डन में अपने हितों की रक्षा के रूप में बताया, लेकिन उसने सीधे तौर पर इजरायल का नाम नहीं लिया है। सूत्रों की माने तो इजरायल का साथ देने में सऊदी अरब के शामिल होने के पीछे अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की भूमिका अहम मानी जा रही है। अमेरिका सऊदी अरब का सबसे प्रमुख सैन्य सहयोगी है।
अरब देशों के साथ इजरायल का समन्वय
अमेरिका इजरायल और क्षेत्रीय देशों के बीच पुल का काम करता है साथ ही साथ अरब देशों के साथ भी इजरायल का समन्वय स्थापित कर रहा है। जिन देशों के साथ इजरायल का सीधा संबंध नहीं है। ये कोई नई बात नहीं है आपको बता दें कि इससे पहले भी 2014 में अप्रैल और अक्टूबर महीने में इजरायल पर ईरानी हमले के दौरान भी यह सहयोग देखा गया था, जब खाड़ी के मुस्लिम देश इजरायल की सहायता के लिए आगे आए थे।




