सऊदी अरब ने लाखों प्रवासी श्रमिकों के लिए ऐतिहासिक और राहत भरा फैसला लिया है। अब देश में कफाला सिस्टम को आधिकारिक रूप से खत्म कर दिया गया है। इस फैसले का सबसे बड़ा फायदा उन प्रवासी मज़दूरों को मिलेगा, जो अब तक अपने स्पॉन्सर (कफ़ील) पर पूरी तरह निर्भर रहते थे।
यह बड़ा बदलाव क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की ‘विज़न 2030’ सुधार योजना का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य है—दुनिया में सऊदी की सकारात्मक छवि, निवेश आकर्षण और आधुनिक श्रम प्रणाली का निर्माण।
❓ कफाला सिस्टम क्या था — और क्यों इसे अमानवीय कहा जाता था?
करीब 70 साल पुराना कफाला सिस्टम सऊदी और कई खाड़ी देशों में लागू था। इसके तहत आने वाला हर विदेशी मज़दूर एक कफील (स्पॉन्सर) से बंधा रहता था, और—
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उसका पासपोर्ट अक्सर कफील के कब्जे में
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नौकरी बदलने का निर्णय कफील के हाथ में
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देश छोड़ने के लिए भी कफील की मंजूरी ज़रूरी
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शिकायत तक दर्ज करने की अनुमति कफील के बिना नहीं
यह सिस्टम 1950 के दशक में इसीलिए लाया गया था कि विदेशी मज़दूरों का प्रवाह नियंत्रित रहे, लेकिन समय के साथ यह मानवाधिकारों के लिहाज से बेहद कठोर और शोषणकारी माना जाने लगा।
ILO और कई मानवाधिकार संगठनों ने इस पर लगातार आपत्ति जताई।

🇮🇳 भारत पर असर — 26 लाख भारतीय प्रवासियों की ज़िंदगी में बड़ा बदलाव
सऊदी में लगभग 2.3 से 2.6 मिलियन (23–26 लाख) भारतीय कामगार हैं। कफाला खत्म होने से भारतीय प्रवासियों को सबसे बड़ा लाभ मिलेगा—
✅ नौकरी बदलने की आज़ादी (बिना कफील की इजाज़त)
✅ पासपोर्ट और श्रम अधिकारों पर खुद का नियंत्रण
✅ शोषण और दबाव वाली नौकरियों से बाहर निकलने का मौका
✅ मानवाधिकारों के अनुरूप सम्मानजनक कार्य व्यवस्था
हालांकि, एक सच्चाई यह भी है कि—
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कफाला सिस्टम की वजह से भारतीयों को बड़े पैमाने पर नौकरी मिलती थी, क्योंकि वे काफ़ी भरोसेमंद और आज्ञाकारी वर्कर माने जाते थे
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कफाला के खत्म होने के बाद नियोक्ताओं में चयन को लेकर सतर्कता बढ़ सकती है
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यानी नौकरी के अवसरों में प्रतिस्पर्धा बढ़ने की संभावना भी है
फिलहाल भारत को मिलने वाला रेमिटेंस (2023–24 में करीब 6.7% सऊदी योगदान) पर तत्काल असर नहीं पड़ेगा, लेकिन वर्क डाइनामिक्स ज़रूर बदलेंगे।
✅ सऊदी का मकसद — मॉडर्न लेबर सिस्टम, पारदर्शिता और निवेश आकर्षण
इस कदम से सऊदी:
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विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ाना चाहता है
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दुनिया की आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं जैसा लेबर मॉडल बनाना चाहता है
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बुरा रेप्युटेशन खत्म कर अंतरराष्ट्रीय छवि मजबूत करना चाहता है




